हैदराबाद : वीसी के विरोध में छात्र हुए उग्र, तोड़फोड़ पथराव में पुलिस वालों को लगी गंभीर चोट

हैदराबाद : हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालयमें वाइसचांसलर अप्पा राव के विरोध तेज होता जा रहा है. छात्रों को शांत करने पहुंचे पुलिस दल पर भी छात्रों ने पथराव किये जिसमें एक जवान के सिर पर गंभीर चोट आयी है. आज दोबारा कार्यभार संभालने के बाद छात्रों ने तीखा विरोध-प्रदर्शन किया. अप्पा राव ने इस संबंध में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 22, 2016 1:22 PM

हैदराबाद : हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालयमें वाइसचांसलर अप्पा राव के विरोध तेज होता जा रहा है. छात्रों को शांत करने पहुंचे पुलिस दल पर भी छात्रों ने पथराव किये जिसमें एक जवान के सिर पर गंभीर चोट आयी है.


आज दोबारा कार्यभार संभालने के बाद छात्रों ने तीखा विरोध-प्रदर्शन किया. अप्पा राव ने इस संबंध में मीडिया से बात करते हुए कहा कि कुछ छात्रों को समुह यह तय नहीं कर सकता कि मुझे हैदराबाद विश्वविद्यालय छोड़ देना चाहिए. अगर उन्हें कोई परेशानी है तो वो मुझसे आकर बात करें अपनी समस्या मेरे सामने रखें. मैं बातचीत के लिए पूरी तरह तैयार हूं.

विश्वविद्यालय परिसर के अंदर छात्रों ने उत्पात मचाया और कई जगह तोड़-फोड़ की. वे कुलपति से विश्वविद्यालय से जाने अौर अपने पद से इस्तीफा देने की मांग कर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि पीएचडी छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद मचे हंगामे के बाद वीसी दो महीने लंबी छुट्टी पर चले गये थे और आज वे अवकाश के बाद आज कार्यालय ज्वाइन करने पहुंचे.

उल्लेखनीय है कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार कल हैदराबाद यूनिवर्सिटी के दौरे पर जाने वाले हैं. उनके वहां जाने से विश्वविद्यालय का तापमान और चढ़ेगा.

कन्हैया ने आज ही दिल्ली में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की है.कन्हैया कुमार ने तुलगक लेन स्थि‍त उनके आवास पर पहुंचकर उनसे बातचीत की. बीते हफ्ते कन्हैया कुमार की दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ भी मुलाकात होनी थी. लेकिन काफी समय तक कन्हैया का इंतजार करने के बाद अरविंद केजरीवाल को यह बैठक रद्द करनी पड़ी.

फिलहाल कन्हैया कुमार जमानत पर हैं. वहीं उमर खालिद व अनिर्बान भट्टाचार्य को भी गिरफ्तार किया गया थे. ये दोनों भी शनिवार को जमानत पर छूट गये हैं. हालांकि कन्हैया कुमार ने दलील दी है कि पाकिस्तान और अफजल के समर्थन में नारे लगाने वाले जेएनयू के छात्र नहीं थे. वे बाहरी लोग थे.

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