नयीदिल्ली : दिल्ली पुलिस ने आज दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह इस बात की जांच कर रही है कि जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने देशद्रोह मामले में अंतरिम जमानत मिलने के बाद उन पर लगी शर्तों का उल्लंघन किया है या नहीं.
पुलिस ने न्यायमूर्ति सुरेश कैत को बताया कि वे तथ्यों का सत्यापन किये बगैर इस बारे में कोई ‘‘टिप्पणी नहीं कर सकते’ कि कन्हैया ने जमानत शर्तों का उल्लंघन किया है या नहीं और जांच चल रही है.
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक शैलेंद्र बब्बर ने अदालत को बताया, ‘‘जहां तक उसके (कन्हैया) द्वारा जमानत शर्तों का उल्लंघन करने के आरोप की बात है, यह तथ्य विवादित है. जब तक हम सत्यापन नहीं कर लेते, हम इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते. यह जांच जारी है.’ अदालत कन्हैया को दी गयी अंतरिम जमानत रद्द करने तथा झूठी गवाही के लिए कार्यवाही शुरू करने की मांग वाली अलग-अलग याचिकाओं पर दलीलें सुन रही थी.
याचिकाकर्ताओं ने इस आधार पर कन्हैया की जमानत को रद्द करने की मांग की कि तिहाड़ जेल से रिहाई के बाद उसका भाषण ‘‘राष्ट्र विरोधी’ था और इसने जमानत शर्तों का उल्लंघन किया.
एक याचिकाकर्ता प्रशांत कुमार उमराव की ओर से पेश अधिवक्ता आरपी लूथरा ने अदालत में दावा किया कि कन्हैया के अंतरिम जमानत पर जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने ‘‘देश की एकता एवं अखंडता को चुनौती देने वाले’ बयान देकर जमानत शर्तों का उल्लंघन किया.
उन्हाेंने कहा, ‘‘उन (कन्हैया) पर लगी शर्तों का उन्होंने उल्लंघन किया और उन्होंने अदालत द्वारा उन पर जताए गए भरोसे को तोड़ा. उन्हें दीगयी जमानत वापस ली जानी चाहिए.’ इन दलीलों का जवाब देते हुए दिल्ली सरकार के वरिष्ठ सरकारी वकील राहुल मेहरा ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने ऐसे कोई आधार नहीं बताए जो इस समय कन्हैया को मिली अंतरिम जमानत को रद्द करने लायक हों.
मेहरा ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने ऐसा एक भी आधार नहीं बताया जो इस बात पर संतुष्ट करें कि कन्हैया ने जमानत शर्तों का उल्लंघन किया है.
लूथरा ने कहा कि अदालत को कन्हैया द्वारा जमानत शर्तों का उल्लंघन करने पर संज्ञान लेना चाहिए.
इस पर अदालत ने कहा, ‘‘हम यह नहीं देखते हैं कि टीवी पर क्या चल रहा है.’ अदालत ने कहा, ‘‘राज्य और केंद्र सरकार इस पर गौर कर रही है.’ नौ फरवरी का जेएनयू के एक कार्यक्रम के संबंध में देशद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे कन्हैया दो मार्च को छह महीने की अंतरिम जमानत पर रिहा हुए थे. इस कार्यक्रम में कथितरूप से राष्ट्रविरोधी नारेबाजी हुई थी और संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को ‘शहीद’ बताया गया था.