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पार्टी ‘विद ए डिफरेंस’ नहीं रही भाजपा!

उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है. वहां कांग्रेस की निर्वाचित सरकार थी, जिसे बर्खास्त कर केंद्र सरकार ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया है. विधानसभा को वहां अभी निलंबित रखा गया है. केंद्र ने संविधान के अनुच्छेद 356 के आधार पर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाया है. केंद्र सरकार के इस फैसले […]

उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है. वहां कांग्रेस की निर्वाचित सरकार थी, जिसे बर्खास्त कर केंद्र सरकार ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया है. विधानसभा को वहां अभी निलंबित रखा गया है. केंद्र ने संविधान के अनुच्छेद 356 के आधार पर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाया है. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद कांग्रेस सकते में है और उसने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि आज जो कांग्रेस कह रही है वह कुछ वर्ष पहले तक भाजपा कहा करती थी और आज जो भाजपा कर रही है, वह कुछ समय पहले तक कांग्रेस किया करती थी.

पार्टी ‘विद ए डिफरेंस’ नहीं रही भाजपा

भाजपा हमेशा यह दावा करती रही है कि वह ‘पार्टी विद ए डिफरेंस’ है. लेकिननये नेतृत्व में भाजपा नेपहले अरुणाचल और अब उत्तराखंड में जो कुछ किया, उससे उसका यह दावा निरर्थक लगता है कि वह ‘पार्टी विद ए डिफरेंस’ है. ऐसा प्रतीत होता है कि भारत में सत्ता पर काबिज होते ही हर पार्टी का चरित्र कांग्रेस जैसा हो जाता है. आज जो कांग्रेस अनुच्छेद 356 के दुरुपयोग का आरोप भाजपा पर लगा रही है, उसने इतिहास में हमेशा ही इस अनुच्छेद का दुरुपयोग किया. विशेषकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय में.

कांग्रेस की राह पर चल पड़ी है भाजपा

कांग्रेस जब भी केंद्र की सत्ता में रही, उस पर यह आरोप लगता रहा है कि जिस प्रदेश में उसकी पार्टी की सरकार नहीं रही, उस प्रदेश को अपने पाले में लाने के लिए कांग्रेस ने अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग किया. अब भाजपा भी वही कर रही है, जो कल तक कांग्रेस पर अंगुली उठाती रही थी. भाजपा ने पहले अरुणाचल में कांग्रेस की सरकार को अल्पमत में लाने की कोशिश की, फिर वही चाल उत्तराखंड में भी चली. लेकिन भाजपा को यह समझना चाहिए कि उसके इन कृत्यों से उसकी छवि धूमिल हो रही है और उसे इसका कोई दूरगामी फायदा नहीं मिलने वाला है.

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कांग्रेस न्यायपालिका की शरण में

उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के विरोध में कांग्रेस न्यायपालिका की शरण में है, लेकिन इससे उसे कोई विशेष फायदा होगा ऐसा लगता नहीं है, क्योंकि मामला राज्यपाल के विशेषाधिकार काहै. देश में कई बार ऐसे मामले सामने आये जब अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग किया गया, जिसमें 1998 में उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त करना भी शामिल है.

गुजरात और तमिलनाडु पर इंदिरा के शासनकाल में थोपा गया था राष्ट्रपति शासन

आज जो कांग्रेस लोकतंत्र की हत्या का राग अलाप रही है, उनके शासनकाल में देश ने आपातकाल का दंश झेला है. साथ ही इंदिरा गांधी पर यह आरोप भी लगे हैं कि जिस प्रदेश में कांग्रेस की सरकार नहीं होती थी, वे वहां अनुच्छेद 356 का प्रयोग कर राष्ट्रपति शासन लगवा देती थीं. उनके शासनकाल में गुजरात और तमिलनाडु पर राष्ट्रपति शासन थोपा गया था और यह मामला काफी विवादित रहा था.

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