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आंध्रप्रदेश: 2013 में तेलंगाना का मुद्दा क्लाइमेक्स पर

हैदराबाद : यह आंध्रप्रदेश के लिए इस मायने में अहम और ऐतिहासिक रहा और अलग तेलंगाना राज्य की अर्से पुरानी मांग अपनी परिणति के बहुत निकट होती दिखी. तेलंगाना का मुद्दा राज्य में छाया रहा और इसके पक्ष एवं विरोध में आंदोलनों का तांता लगा रहा. साल की शुरुआत हिंसा और खूनखराबे से हुई. फरवरी […]

हैदराबाद : यह आंध्रप्रदेश के लिए इस मायने में अहम और ऐतिहासिक रहा और अलग तेलंगाना राज्य की अर्से पुरानी मांग अपनी परिणति के बहुत निकट होती दिखी. तेलंगाना का मुद्दा राज्य में छाया रहा और इसके पक्ष एवं विरोध में आंदोलनों का तांता लगा रहा.

साल की शुरुआत हिंसा और खूनखराबे से हुई. फरवरी में हैदराबाद उस वक्त लहूलहान हो गया जब दिलसुखनगर में विस्फोटों में 17 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए. आंध्रप्रदेश ने इस साल तीन-तीन चक्रवात झेले और तीनों एक के बाद एक आए. कुदरत के इस कहर से प्रदेश की लाखों एकड़ फसल बरबाद हो गई. बहरहाल, आंध्रप्रदेश के लिए यह साल तेलंगाना के नाम रहा – तेलंगाना और उसके समर्थन और विरोध की राजनीति के नाम.

तेलंगाना से जुड़े राजनीतिक घटनाक्रम का सिलसिला अभी थमा नहीं है और यह अगले साल भी चलेगा क्योंकि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मसौदा आंध्रप्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2013 राज्य विधानसभा को भेजा है. विधानसभा को 23 जनवरी तक इसपर चर्चा कर के लौटाना है.

तेलंगाना की सियासत ने साल के मध्य में नया मोड़ लिया जब जुलाई अंत में कांग्रेस कार्यसमिति ने अलग तेलंगाना राज्य पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी. कांग्रेस के इस कदम पर जहां तेलंगाना में खुशियों की इंतहा नहीं रही, वहीं तटीय आंध्र और रायलसीमा (दोनों मिला कर सीमांध्र) क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला शुरु हो गया.

प्रदेश के विभाजन के विरोध में राज्य सरकार के सीमांध्र क्षेत्र के लाखों कर्मचारी सड़क पर उतर आए. उन्होंने 12 अगस्त मध्यरात्रि से अनिश्चितकालीन हड़ताल का जो सिलसिला शुरु किया वह दो महीने से ज्यादा अर्से तक जारी रहा. इसमें खास तौर पर विद्युत सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों की हड़ताल रही. अगर यह कुछ अर्से और चलती तो उसके राष्ट्रीय परिणाम होते. दो माह तक चले आंदोलन से सीमांध्र में जनजीवन ठप्प पड़ गया. सार्वजनिक परिवहन सुविधाएं, सरकारी दफ्तर, बैंक, एटीएम और यहां तक मेडिकल सेवाएं तक बंद रहीं.

राज्य के विभाजन के इस फैसले का राजनीतिक निहितार्थ भी रहा. सीमांध्र क्षेत्र से जुड़े अनेक सांसद और राज्य मंत्रियों ने इस्तीफा देने की पेशकश की जिन्हें खारिज कर दिया गया. अलग तेलंगाना राज्य के लिए कांग्रेस कार्यसमिति के अनुमोदन के तकरीबन दो माह बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. इस तरह देश का 29वां प्रांत तेलंगाना में अविभाजित आंध्रप्रदेश के 23 में से 10 जिले शामिल होंगे. मौजूदा राजधानी हैदराबाद विभाजन के बाद 10 साल के लिए दोनों राज्यों की संयुक्त रुप से राजधानी रहेगा.

आंध्रप्रदेश के विभाजन के मुद्दे पर विरोध की आंच केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी महसूस की गई. आंध्रप्रदेश से जुड़े कई मंत्रियों ने इस्तीफे दे दिए. इस्तीफा देने वालों में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री एमएम पल्लम राजू, कपड़ा मंत्री के. एस. राव, पर्यटन राज्य मंत्री के. चिरंजीवी और रेलवे राज्यमंत्री के. सूर्य प्रकाश रेड्डी शामिल हैं. बहरहाल, उन्हें अपने पद पर बने रहने के लिए मना लिया गया.

अलग तेलंगाना राज्य बनाने के कांग्रेस के फैसले का विरोध खुद उसके मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी ने की. उन्होंने प्रदेश का विभाजन रोकने का प्रण किया. वह विभाजन विरोधियों के केंद्र बिंदू बन कर उभरे और उनकी छवि सीमांध्र के नायक जैसी बनी.

इस साल, खेल के मैदान में आंध्रप्रदेश का खासा अच्छा प्रदर्शन रहा. बैडमिंटन के उभरते सितारे पीवी सिंधु ने मकाओ ओपन में बाजी मारी. अन्य अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भी उनका प्रदर्शन अच्छा रहा. इस दौरान, आंध्र के स्टार शटलर साइना नेहवाल खराब फार्म में रहीं. बहरहाल, सिंधु ने उनकी भरपाई कर दी.इस साल, टेनिस में भी आंध्र ने अपना जलवा दिखाया. प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में अच्छे प्रदर्शन से उन्होंने युगल में शीर्ष 10 खिलाड़ियों में अपनी जगह बना ली.

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