इन मुख्यमंत्रियों को पसंद नहीं वीआइपी कल्चर
भारत में कुछ ऐसे मुख्यमंत्री भी है जो अपनी सादगी के कारण चर्चा में रहते हैं. ये आम लोगों की तरह रहना और लोगों के साथ जुड़े रहना ही अपना धर्म समझते हैं. इनमें से कुछ मुख्यमंत्री हैं…. अरविंद केजरीवाल को नहीं चाहिए लालबत्तीआम आदमी पार्टी (आप) के नेता और दिल्ली के होने वाले मुख्यमंत्री […]
भारत में कुछ ऐसे मुख्यमंत्री भी है जो अपनी सादगी के कारण चर्चा में रहते हैं. ये आम लोगों की तरह रहना और लोगों के साथ जुड़े रहना ही अपना धर्म समझते हैं. इनमें से कुछ मुख्यमंत्री हैं….
अरविंद केजरीवाल को नहीं चाहिए लालबत्ती
आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और दिल्ली के होने वाले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जेड सुरक्षा लेने से इनकार कर दिया है. इन्हें अपनी गाड़ी में लालबत्ती लगाना भी पसंद नहीं है. केजरीवाल अपने को आम आदमी के साथ जोड़े रखना चाहते हैं. वे नहीं चाहते कि उनके आसपास भीड़ या लाव-लश्कर को देख आम आदमी से मिलने में उन्हें मुश्किल हो.
माणिक सरकार के नाम पर कोई मकान या गाड़ी नहीं है
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री और माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य माणिक सरकार पिछले 15 साल से अपने पद पर बने हुए हैं. वह देश के एकमात्र मुख्यमंत्री हैं जिनके नाम पर कोई मकान या गाड़ी नहीं है. पत्नी पंचाली दो साल पहले केंद्रीय सामाजिक कल्याण बोर्ड से रिटायर हुई हैं. वह रिक्शे में बाहर जाती हैं और उनके साथ कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं होती. सरकार मुख्यमंत्री के रूप में मिलने वाले वेतन को अपनी पार्टी को दे देते हैं. बदले में पार्टी उनको भत्ते के रूप में पांच हजार रुपये महीना देती है.
रात में फर्श पर चटाई बिछाकर सोते हैं एन रंगास्वामी
पुडुचेरी के मुख्यमंत्री एन रंगास्वामी को रोज सुबह उठकर अपने बचपन के दोस्तों के साथ समय बिताना काफी पसंद हैं. वे रोज सुबह नुक्कड़ पर जाकर अपने बचपन के दोस्त की दुकान पर चाय पीते हैं. वे कार के बजाय अपनी बाइक का इस्तेमाल करते हैं. वे अपने क्षेत्र में बाईक से सैर के लिए निकलते हैं. लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं के तत्काल निपटारे की कोशिश करते हैं. बाल कटाने के लिए नाई की दुकान पर खुद जाते हैं. किसी भी सरकारी तामझाम से दूर मिलनसार और आसानी से उपलब्ध होने वाले मुख्यमंत्री हैं. सादगी, निष्पक्षता और पारदर्शिता उनकी पार्टी का नारा है. यही उनकी लोकप्रियता का मुख्य कारण भी है. अविवाहित हैं और उनके घर में मामूली सामान है. वह रात में फर्श पर चटाई बिछाकर सोते हैं.
इकोनॉमी क्लास में सफर करते हैं मनोहर पार्रिकर
गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर अपने बेदाग छवि और भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम के लिए जाने जाते हैं. वे अपनी यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था नहीं लेते. पार्रिकर अपने ही घर में रहते हैं और सरकारी आवास को दफ्तर के रूप में बदल दिया है. अपनी सुरक्षा और यात्रा के नाम पर सरकारी धन की बरबादी में यकीन नहीं करते. चार्टर्ड फ्लाइट के बजाय नियमित एयरलाइन में हीइकोनॉमी क्लास में सफर करते हैं.
ट्रैफिक सिग्नल लाल होते ही रूक जाता है ममता का काफिला
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को उनकी सादगी के लिए पूरे देश में जाना जाता है. जब वे मुख्यमंत्री नहीं भी थी तो वे सादगी से रहती थी. उनके पास जेड प्लस सुरक्षा होती है इसके बावजूद ममता बनर्जी कभी भी लालबत्ती लगी बुलेट प्रूफ कार से नहीं चलती हैं और न ही घर से दफ्तर या फिर अन्य स्थानों पर जाने के लिए गाड़ियों का लंबा-चौड़े काफिला साथ होता है. कोलकाता के कालीघाट के हरिश चटर्जी स्ट्रीट स्थित अपने आवास से ऑफिस जाते समय किसी भी चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल लाल होते ही बगल में खड़ी काले रंग की सैंट्रो कार पर निगाह पड़ते ही लोग चौंक पड़ते हैं. डब्ल्यूबी-02यू-4397 नंबर की एक पुरानी छोटी कार की अगली सीट पर ममता बैठी रहती हैं. यह नजारा आए दिन लोगों को देखने को मिलता है. वह बंगाल की एक ऐसी मुख्यमंत्री हैं जिनका काफिले को गुजारने के लिए न तो पहले सड़कें खाली कराई जाती है और न ही सामने सायरन बजाते हुए पुलिस की पायलट कार चलती है. मुख्यमंत्री बनने से पहले रेलमंत्री रहते हुए भी ममता की सुरक्षा में कभी भी ताम-झाम नहीं रहा.