मुंबई : भारत माता की जय’ संबंधी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी के कुछ दिन बाद संगठन के एक शीर्ष पदाधिकारी ने कहा है कि वास्तव में ‘वंदे मातरम्’ ही राष्ट्रगान है. संघ के सरकार्यवाह व पूरे संघ परिवार के दूसरे सबसे बड़े नेता भैयाजी जोशी ने कहा, ‘‘वर्तमान में जन गण मन हमारा राष्ट्रगान है. इसका सम्मान किया जाना चाहिए. इससे दूसरी भावना उत्पन्न होने का कोई कारण नहीं है.’ उन्होंने इस मौके पर राष्ट्र ध्वज की तुलना भगवा ध्वज से भी की और कहा भगवा ध्वज को राष्ट्रध्वज मानना गलत नहीं है.
उन्होंने कल दीनदयाल उपाध्याय अनुसंधान संस्थान में कहा, ‘‘लेकिन संविधान के अनुसार यह हमारा राष्ट्रगान है. अगर कोई वास्तविक अर्थों पर विचार करता है तो वंदे मातरम हमारा राष्ट्रगान है.’ जोशी ने कहा, ‘‘जन गण मन कब लिखा गया? इसे कुछ वक्त पहले लिखा गया था लेकिन जन गण मन में राष्ट्र को ध्यान में रखकर भावनाएं व्यक्त की गयी हैं.’ उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि वंदे मातरम में जाहिर की गयी भावनाएं राष्ट्र की विशेषता और बनावट को रेखांकित करती हैं.
यह दोनों गीतों के बीच का अंतर है. दोनों का सम्मान किया जाना चाहिए.’ ‘‘वंदे मातरम’ बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की कविता है और भारतीय स्वंतत्रता आंदोलन में इसकी भूमिका बेहद अहम रही. वर्ष 1950 में इसके दो छंद को ‘‘राष्ट्रगीत’ का आधिकारिक दर्जा दिया गया.
भैया जी ने कहा, जो भारत को भोगभूमि मानते हैं वही "भारत माता की जय" नहीं कहेंगे. जन गण मन तो बाद में मना और जो भावना वंदे मातरम में है वो इसमें नहीं है हालांकि उन्होंन कहा कि हमें जन गण मन को सम्मान देना चाहिए. भैया जी ने कहा, अगर हमें भाइयों की तरह एक साथ रहना है तो भारत माता की जय कहना होगा. इस मौके पर उन्होंने राष्ट्रध्वज की तुलना भगवा ध्वज से करते हुए कहा कि भगवा ध्वज को राष्ट्रध्वज मानना गलत नहीं है क्योंकि पहले यही बना है.