मुंबई: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज उम्मीद जताई कि भारतीय रसायन उद्योग 15 प्रतिशत की सालाना वृद्धि हासिल करेगा और विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपयोगिता बढ़ाएगा.राष्ट्रपति ने आज यहां भारतीय रसायन अभियंता संस्थान के 66वें सालाना सत्र का उद्घाटन करने के बाद कहा, ‘‘भारतीय रसायन उद्योग 108 अरब डालर का है. यह वैश्विक बाजार का 3 प्रतिशत है. कई कारण हैं जिनसे यह हिस्सा बढ़ना चाहिए. 2017 तक यह क्षेत्र 15 फीसद की सालाना वृद्धि दर हासिल कर सकता है और 290 अरब डालर का उद्योग बन सकता है.’’
उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक रुपरेखा बनाई जानी चाहिए जिसमें वृद्धि से संबंधित पहलुओं मसलन शोध एवं विकास और कर्मचारियों की क्षमता का विस्तार शामिल है. मुखर्जी ने कहा कि रसायन उद्योग का शोध एवं विकास खर्च उसकी कुल आमदनी के आधा प्रतिशत से भी कम है. मुखर्जी ने कहा कि वैश्विक 4 फीसद के बेंचमार्क को हासिल करने के लिए खर्च में उल्लेखीय वृद्धि किए जाने की जरुरत है.
उन्होंने कहा कि रसायन उद्योग में जिस विस्तार की जरुरत है उसके देखते हुए 2017 तक 50 लाख अतिरिक्त दक्ष पेशेवरों की जरुरत होगी. उन्होंने कहा कि श्रमबल की जरुरत तथा ढांचागत सहयोग के लिए तकनीकी संस्थानों को मजबूत किया जाना चाहिए.राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि वृद्धि के अलावा रसायन उद्योग को सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण मानदंड पर भी समान तरीके से ध्यान केंद्रित करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘उद्योग को प्रौद्योगिकी में निवेश के जरिये टिकाउ विकास को प्रोत्साहन देना चाहिए. वही साथ ही वृद्धि के साथ पर्यावरण के संरक्षण पर भी ध्यान देना चाहिए.’’
मुखर्जी ने कहा कि रसायन उद्योग ने देश के कृषि क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उर्वरकों व कीटनाशकों के इस्तेमाल के जरिये कृषि क्षेत्र का उत्पादन बढ़ाया गया है. राष्ट्रपति ने कहा कि हरित क्रांति से हालांकि खाद्यान्न उत्पादन में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है, लेकिन रासायनिक उर्वरकों से बेतहाशा इस्तेमाल से अंतत: उत्पादकता घटी है.