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पाकिस्तान के ”यू टर्न” पर अब पीएम मोदी लेंगे निर्णय

नयी दिल्ली : पठानकोट मामले को लेकर पाकिस्तान के बदले रुख को लेकर आज गृह मंत्रालय में बैठक हुई. यह बैठक करीब 1 घंटे 20 मिनट तक चली. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बैठक में निर्णय लिया गया कि इस मामले में आगे की रणनीति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीनिर्णय लेंगे. आगे की कार्रवाई […]

नयी दिल्ली : पठानकोट मामले को लेकर पाकिस्तान के बदले रुख को लेकर आज गृह मंत्रालय में बैठक हुई. यह बैठक करीब 1 घंटे 20 मिनट तक चली. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बैठक में निर्णय लिया गया कि इस मामले में आगे की रणनीति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीनिर्णय लेंगे. आगे की कार्रवाई एनआइए के डीजी के अमेरिका से लौटने के बाद की जाएगी जिसमें प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री की सलाह ली जाएगी.इस बैठक में गृहमंत्री,गृहसचिव, एनएसए और आईबी निदेशक भी मौजूद थे.

इससे पहले एनआइए चीफ शरद कुमार ने कहा था कि पठानकोट आतंकी हमले की जांच के लिए नेशनल इनवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआइए) पाकिस्तान के दौरे पर जायेगी. एनआइए के डीजी पाकिस्तान की ज्वाइंट इनवेस्टीगेशन टीम की जांच पूरी होने पर मीडिया को यह जानकारी दी थी लेकिन पठानकोट हमले की जांच के मुद्दे पर एक बार फिर पाकिस्तान का दोहरा रवैया गुरुवार को सामने आया है जब पाकिस्तान सरकार ने हमले की जांच के लिए एनआईए की टीम को बुलाने से इनकार कर दिया.

पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्‍दुल बासित मामले के संबंध में कहा कि भारत के साथ शांति प्रक्रिया स्थगित हो चुकी है. बासित ने एनआइए को पाकिस्तान में जांच की इजाजत दिए जाने की बात को भी नकार दिया. उन्होंने भारत परआरोप लगाते हुए कहा कि पठानकोट हमले की जांच के लिए आई पाकिस्तानी टीम को एनआईए से सहयोग नहीं मिला.

वहीं भारत ने पाकिस्तान के उच्चायुक्त के इस बयान का खंडन किया कि पाकिस्तानी जेआईटी का दौरा आदान-प्रदान के आधार पर नहीं हुआ था और कहा कि इस टीम के भारत आने से पहले दोनों पक्ष सहमत हुए थे कि यह आपसी आदान-प्रदान के आधार पर होगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने गुरुवार को कहा कि हमने पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर आतंकवादी हमले की जांच के लिए जेआईटी टीम के दौरे पर पाकिस्तानी उच्चायुक्त के बयान देखे हैं जो आदान-प्रदान के संदर्भ में है.

स्वरुप ने कहा कि विदेश मंत्रालय स्पष्ट करना चाहता है कि जेआईटी के दौरे से पहले 26 मार्च, 2016 को भारतीय उच्चायोग ने पाकिस्तान विदेश मंत्रालय को औपचारिक रुप से सूचित किया था कि कार्यक्षेत्र के बारे में इस आधार पर व्यापक सहमति बनी है कि ये आदान-प्रदान पर आधारित होगा तथा वर्तमान कानूनी प्रावधानों के अनुरुप रहेगा.

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