अल्ज़ाइमर्स की दवा का अमरीकी पेटेंट बीएचयू को
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) को अल्ज़ाइमर की दवा बनाने का अमरीकी पेटेंट हासिल हुआ है.काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के आयुर्वेद विभाग को यह अमरीकी पेटेंट हासिल हुआ है.आयुर्वेद विभाग के प्रमुख डॉ गोविंद प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि भारत में परंपरागत रूप से औषधीय गुणों वाले पौधौं से दवा बनाने का काम […]
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) को अल्ज़ाइमर की दवा बनाने का अमरीकी पेटेंट हासिल हुआ है.काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के आयुर्वेद विभाग को यह अमरीकी पेटेंट हासिल हुआ है.
आयुर्वेद विभाग के प्रमुख डॉ गोविंद प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि भारत में परंपरागत रूप से औषधीय गुणों वाले पौधौं से दवा बनाने का काम किया जाता रहा है.इन्हीं परंपरागत औषधियों को आधार बनाकर विभाग ने ब्राह्मी कल्प, वराही कल्प और अम्ल वेतक नाम से अल्ज़ाइमर, पार्किंसन और बुढ़ापे को कम करने वाली दवाएं विकसित की गई हैं.डॉ गोविंद के अनुसार इन तीनों दवाओं का अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की स्टैंडर्ड लैबोरेट्री में परीक्षण कर इन्हें प्रमाणित किया गया है.ब्राम्ही कल्प, वराही कल्प और अम्ल वेतक आयुर्वेदिक दवाओं का अमरीका की फ़ेडरल ड्रग एजेंसी (एफ़डीए) द्वारा मान्य प्रयोगशाला में परीक्षण भी किया गया.
बिज़नेस प्लान
डॉ गोविंद ने बताया कि इन दवाओं के चिकित्सकीय परीक्षण के लिए चार संस्थानों को अधिकृत किया गया है. ये हैं काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), एसआरएम यूनिवर्सिटी, आदेश यूनिवर्सिटी- भटिंडा और जिनोम फ़ाउंडेशन- हैदराबाद.इन चार संस्थानों ने चेन्नई के अरविंद रेमेडीज़ लिमिटेड के साथ इन तीनों दवाओं की ग्लोबल मार्केटिंग के लिए समझौता किया है.अरविंद रेमेडीज़ लिमिटेड अमरीका की फ़ेडरल ड्रग एजेंसी से अनुमति, प्रमाणन और प्रायोजन के साथ सभी ख़र्च वहन करने के लिए सहमत हो गई है.
अरविंद रेमेडीज़ लिमिटेड बीएचयू और अन्य सहयोगी संगठनों में दवा के निर्माण के लिए धन उपलब्ध करवाएगी.इसके संबंध में फ़ैसला बीएचयू के वाइस चांसलर पद्मश्री लालजी सिंह की अध्यक्षता में हुई बिज़नेस सेल की मीटिंग में लिया गया.डॉ गोविंद कहते हैं कि ये दवाएं अल्ज़ाइमर, पार्किंसन और बुढ़ापे के असर को कम करने के अलावा अवसाद, अनिद्रा और स्मरण शक्ति के कमज़ोर होने पर प्रयोग में लाई जा सकती है.वो दावा करते हैं कि इन दवाओं के प्रयोग का शरीर पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा.डॉ गोविंद कहते हैं कि इन दवाओं के बाज़ार में आ जाने से इन बीमारियों के मरीज़ों और उनके परिजनों को काफ़ी राहत मिलेगी.
!!साभार बीबीसी!!