..और अरुणिमा के आगे बौना हो गया माउंट एवरेस्ट

नयी दिल्ली : शायद आपने सोचा भी नहीं होगा कि चलती ट्रेन से फेंके जाने की वजह से अपना पैर गंवाने वाली अरुणिमा का हौसला माउंट एवरेस्ट को बौना बना देगा या फिर जिस ब्रिटेन के जनरल ओ डायर ने जलियांवाला बाग नरसंहार को अंजाम दिया था, जल्दी ही अतीत बनने जा रहे वर्ष 2013 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 29, 2013 1:19 PM

नयी दिल्ली : शायद आपने सोचा भी नहीं होगा कि चलती ट्रेन से फेंके जाने की वजह से अपना पैर गंवाने वाली अरुणिमा का हौसला माउंट एवरेस्ट को बौना बना देगा या फिर जिस ब्रिटेन के जनरल ओ डायर ने जलियांवाला बाग नरसंहार को अंजाम दिया था, जल्दी ही अतीत बनने जा रहे वर्ष 2013 में ऐसी ही कुछ घटनाएं हुईं जो कल्पना से परे थीं.

दो साल पहले कुछ लोगों ने राष्ट्रीय स्तर की पूर्व वॉलीबॉल खिलाड़ी अरुणिमा सिन्हा को चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया था. हादसे में अरुणिमा ने अपना दाहिना पैर गंवा दिया था. लेकिन उसके हौसले परास्त नहीं हुए और इस साल वह कृत्रिम पैर के साथ माउंट 26 वर्षीय अरुणिमा ने काठमांडो से एवरेस्ट के शिखर तक का अपना सफर 52 दिन में पूरा किया.

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन ने ब्रिटिश शासन के दौरान अमृतसर के जलियांवाला बाग में वर्ष 1919 में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर निर्मम गोलीबारी को बेहद शर्मनाक बताया. फरवरी में भारत आए कैमरुन ने अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग में आगंतुकों के लिए रखी गई किताब में लिखा, ब्रिटिश इतिहास का यह बेहद शर्मनाक कृत्य है. इस कृत्य की बिल्कुल सही व्याख्या करते हुए विंस्टन चर्चिल ने इसे राक्षसी करार दिया था. हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि यहां क्या हुआ था और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ब्रिटेन दुनिया भर के शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के अधिकारों के लिए खड़ा हो.

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