साल भर चलता रहा मंगल अभियान

नयी दिल्ली : आसमां में नई जमीं की तलाश में लगे इन्सान के लिए यह साल उपलब्धियों से भरा रहा. इस साल जहां भारत ने अपने बहु प्रतीक्षित मंगल अभियान की शुरुआत की तो अमेरिका ने भी मंगल से जुड़े अभियानों के जरिए अंतरिक्ष में अपने कदम आगे बढ़ाए.मंगल अभियान के अलावा इस साल की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 29, 2013 1:25 PM

नयी दिल्ली : आसमां में नई जमीं की तलाश में लगे इन्सान के लिए यह साल उपलब्धियों से भरा रहा. इस साल जहां भारत ने अपने बहु प्रतीक्षित मंगल अभियान की शुरुआत की तो अमेरिका ने भी मंगल से जुड़े अभियानों के जरिए अंतरिक्ष में अपने कदम आगे बढ़ाए.मंगल अभियान के अलावा इस साल की एक बड़ी उपलब्धि यह भी रही कि नासा से संबद्ध वैज्ञानिकों को चांद की सतह के नीचे एक विशेष किस्म के जल की मौजूदगी के संकेत मिले. भारत के लिए यह खोज इस लिहाज से खास है कि नासा के जिस मून मिनरोलॉजी मैपर (एम3) उपकरण ने ये आंकड़े दिए, वह भारत के चंद्रयान-1 में लगा था.

भारत के मंगलयान को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से बीते 5 नवंबर को प्रक्षेपित किया गया. भारत के इस पहले अंतरग्रही (इंटरप्लेनेटरी)अभियान के प्रक्षेपण पर दुनिया भर के वैज्ञानिकों समेत आम जनता की भी निगाहें टिकी थीं.भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अनुसार, इस परियोजना को ‘टेक्नोलॉजिकल डेमोनस्ट्रेटर’ माना जा रहा है क्योंकि इस अभियान का उद्देश्य दूसरे ग्रहों पर अभियान भेजने के लिए जरुरी तकनीक, डिजाइन, प्रबंधन और संचालन के तरीके विकसित करना है. इस परियोजना की कुल लागत लगभग 450 करोड़ रुपये है. भारत का मंगलयान अपने इस अभियान के दौरान मंगल की सतह की प्रकृति, संरचना, इसमें मौजूद खनिजों और वहां के पर्यावरण का अध्ययन स्वदेशी वैज्ञानिक उपकरणों से करेगा. मंगलयान अगले सितंबर में मंगल की कक्षा में पहुंचेगा.

मंगलयान के मंगल की कक्षा में पहुंच जाने पर भारत ऐसा चौथा देश बन जाएगा, जिसने इस अभियान में सफलता हासिल की है. इससे पहले अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा, रुसी एजेंसी रॉस्कॉस्मोज और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ऐसे अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम दे चुके हैं.पिछले ही साल मंगल पर उतरे नासा के रोवर ‘क्यूरोसिटी’ ने भी बीते अगस्त में मंगल की धरती पर अपना एक साल पूरा कर लिया. इस बीच रोवर ने मंगल से विभिन्न तस्वीरें भेजनी जारी रखीं. रोवर की ओर से इस साल आई जानकारी में मंगल की सतह पर पानी की धारा, सल्फेट खनिज आदि की उपस्थिति के संकेत मिलते रहे. इनपर आगे शोध अभी जारी है. भारत का मंगल अभियान शुरु होने के कुछ ही समय बाद 18 नवंबर को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने मेवन (मार्स एटमॉस्फियर एंड वोलेटाईल एवोल्यूशन) नामक अंतरिक्ष यान मंगल की ओर भेजा.

मेवन अभियान का उद्देश्य मंगल के वातावरण का बारीकी से अध्ययन करना है. इस अभियान का मुख्य लक्ष्य यह पता लगाना है कि आखिर किस तरह मंगल के वायुमंडल और वहां मौजूद द्रव की समाप्ति हुई? नासा वर्ष 2030 तक मंगल पर मानव अभियान भेजने का संकल्प लेकर चल रही है. मेवन के जरिए वैज्ञानिक यह समझने की उम्मीद लगाए हुए हैं कि मंगल जैसा गर्म और आद्रग्रह आज सूखे रेगिस्तान सरीखे ग्रह में कैसे बदल गया?18 नवंबर में लॉन्च किया गया मेवन भी अगले साल सितंबर में ही मंगल पर पहुंचेगा. इसके बाद इसका एक साल तक चलने वाला शोध शुरु होगा.

आने वाला नया साल भी अंतरिक्ष विज्ञान के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण रहेगा क्योंकि इसमें मंगल के नए-नए रहस्यों से पर्दा उठने की उम्मीद बनी रहेगी और चंद्रमा की सतह के नीचे मिले मैग्मेटिक (मैग्मा वाले) जल के संकेतों से चंद्रमा की ज्वालामुखी प्रक्रिया और आंतरिक संरचना जानने में मदद मिल सकेगी.

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