चेन्नई : तमिलनाडु सरकार ने केंद्र से कहा है कि भारतीय मछुआरों पर बिना उकसावे के हमले करने और उन्हें गिरफ्तार करने की कार्रवाई समाप्त करने के लिए श्रीलंका सरकार पर दबाव बनाया जाए और इस तरह के हमले अगले महीने दोनों पक्षों के मछुआरा समुदायों के प्रतिनिधियों के बीच प्रस्तावित वार्ता के लिए अनुकूल माहौल नहीं बनने देंगे.
मुख्यमंत्री जयललिता ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कहा है कि जहां राज्य सरकार भारत और श्रीलंका के मछुआरों के बीच बातचीत सुगम बनाने में सुलह का रास्ता अपना रही है वहीं यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे मछुआरों पर हमले और उन्हें बंधक बनाने के मामलों में कमी नहीं आई है.
जयललिता ने 30 दिसंबर को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा, इस तरह के हमले जारी रहने और बंधक बनाने से दोनों देशों के मछुआरा संघों के स्तर पर किसी सार्थक बातचीत के लिए सुखद माहौल नहीं बनेगा. इसलिए मैं दोहराना चाहूंगी कि भारत सरकार को सख्त रुख अपनाना चाहिए और श्रीलंका सरकार पर इस तरह के बिना उकसावे के हमलों और गिरफ्तारियों को समाप्त करने के लिए दबाव बनाना चाहिए.
आज जारी पत्र के अनुसार मुख्यमंत्री ने कहा है कि दोनों देशों के मछुआरा समुदाय के प्रतिनिधियों के बीच यहां 20 जनवरी को बातचीत के राज्य सरकार के प्रस्ताव पर खबरों के मुताबिक केंद्र भी सहमत है. फिर भी केंद्र से औपचारिक पुष्टि का इंतजार है.
श्रीलंकाई नौसेना द्वारा 28 और 29 दिसंबर को पुथुकोट्टई और रामनाथपुरम जिलों से 40 मछुआरों की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह के हमलों ने राज्यभर के मछुआरा समुदाय में तनाव का माहौल पैदा कर दिया है.
जयललिता ने खत में लिखा है कि भारतीय मछुआरों द्वारा पाक खाड़ी के परंपरागत जलक्षेत्र में मछली पकड़कर आजीविका अजिर्त करने के अधिकार पर श्रीलंका बार-बार अतिक्रमण कर रहा है. इस क्षेत्र पर भारतीय मछुआरों का ऐतिहासिक दावा है.
उन्होंने कहा, भारत सरकार द्वारा गलत सलाह के आधार पर किए गए एक समझौते के तहत कच्चातिवू द्वीप श्रीलंका को हस्तांतरित किए जाने की वजह से ऐसी स्थिति बनी है जबकि यह क्षेत्र भारत का ऐतिहासिक हिस्सा रहा है और निर्विवाद रुप से भारत का अभिन्न भाग है.
जयललिता ने कहा, अनेक संयुक्त वक्तव्यों के बावजूद श्रीलंका ने हमारे निदरेष मछुआरों पर बिना रके, नृशंस, बिना उकसावे के हमले करना और गोलीबारी करना जारी रखा है.उन्होंने कहा कि भारत की दब्बू और कमजोर प्रतिक्रिया की वजह से ही श्रीलंकाई नौसेना भारतीयों के खिलाफ कार्रवाई करने का साहस करती है. मुख्यमंत्री ने श्रीलंकाई जेलों में पहले से ही बंद 200 से अधिक भारतीय मछुआरों की रिहाई के लिए केंद्र के हस्तक्षेप की अपनी पुरानी मांग भी दोहराई.