नयी दिल्ली: दिल्ली सरकार ने शहर में पड़ रही कड़ाके की ठंड के मद्देनजर बेघरों को छत प्रदान करने के लिए कई कदमों की आज घोषणा की और प्लास्टिक के टेंट से चलाए जा रहे सभी रैन बसेरों को पोर्टा केबिन से बदलने का फैसला किया. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सभी एसडीएम को रात के दौरान अपने-अपने क्षेत्रों में इस बात का निरीक्षण करने का निर्देश दिया कि सभी रैन बसेरे सही ढंग से चलाए जा रहे हैं.
एसडीएम को चार जनवरी की सुबह तक उन क्षेत्रों की सूची तैयार करने को कहा गया है जहां रैन बसेरों की जरुरत है. केजरीवाल ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘’हमें जानकारी मिली है कि अनेक सरकारी रैन बसेरे हैं जो प्लास्टिक के टेंट में चल रहे हैं लेकिन वे सर्द हवाओं को नहीं रोक सकते. उन्हें तीन-चार दिन के भीतर पोर्टा केबिन से बदलने का आदेश दिया गया है.’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि एसडीएम को चार जनवरी तक उन स्थानों का पता लगाने को कहा गया है जहां बड़ी संख्या में बेघर लोग खुले में सो रहे हैं ताकि वहां पोर्टा केबिन लगाया जा सके.
केजरीवाल ने कहा, ‘’हमारे मंत्रियों मनीष सिसोदिया और राखी बिड़ला और आप नेता संजय सिंह द्वारा रात के दौरान निरीक्षण करने के दौरान यह हमारी जानकारी में आया कि अनेक लोग फ्लाईओवर के नीचे और इस तरह के अन्य स्थानों पर सो रहे हैं और रैन बसेरा में जाने को इच्छुक नहीं हैं. सरकार ने उन लोगों को वहां पोर्टा केबिन आधारित आश्रयस्थल देने का फैसला किया है.’’केजरीवाल ने कहा कि सरकार रैन बसेरों में बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए सभी विधायकों से सहायता मांग रही है.
उन्होंने कहा, ‘’हम विधायकों को पत्र लिख रहे हैं और कह रहे हैं कि इस मामले में हमें उनकी भी आवश्यकता है और उन्हें उनके क्षेत्रों में रैन बसेरों की भी सूची भेज रहे हैं. हम उनसे रैन बसेरों की यात्र करने की अपील कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा कि इस पहल में मंत्री और आप के स्वयंसेवक भी उनकी मदद करेंगे.
बेघरों को राहत प्रदान करने में पूर्ववर्ती सरकार के विफल रहने के लिए उसकी आलोचना करते हुए केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय में साल 2010 से एक मामला चल रहा है लेकिन वंचितों की मदद के लिए सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की.