भारत ने कहा,देवयानी मामले में मांग अतार्किक नहीं

वाशिंगटन: देवयानी खोबरागड़े की गिरफ्तारी के बाद अपनी मांग अतार्किक नहीं होने पर जोर देते हुए भारत ने कहा है कि मामला घरेलू कामगार सेदुर्व्यवहार का नहीं बल्कि आव्रजन उद्देश्यों के लिए अमेरिकी कानून से खिलवाड़ का है. भारतीय दूतावास प्रवक्ता श्रीधरन मधुसूदनन ने ‘वाशिंगटन पोस्ट’ को एक पत्र में लिखा है, ‘‘यह मामला घरेलू […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 7, 2014 4:05 PM

वाशिंगटन: देवयानी खोबरागड़े की गिरफ्तारी के बाद अपनी मांग अतार्किक नहीं होने पर जोर देते हुए भारत ने कहा है कि मामला घरेलू कामगार सेदुर्व्यवहार का नहीं बल्कि आव्रजन उद्देश्यों के लिए अमेरिकी कानून से खिलवाड़ का है.

भारतीय दूतावास प्रवक्ता श्रीधरन मधुसूदनन ने ‘वाशिंगटन पोस्ट’ को एक पत्र में लिखा है, ‘‘यह मामला घरेलू कामगार सेदुर्व्यवहार का नहीं बल्कि आव्रजन उद्देश्यों के लिए अमेरिकी कानून से खिलवाड़ का है.’’ भारत खोबरागड़े के खिलाफ मामला वापस लेने और 39 वर्षीय राजनयिक के कपड़े उतरवाकर तलाशी लेने व अपराधियों के साथ उन्हें हिरासत में रखने सहित जो सलूक किया गया उस संबंध में अमेरिका से माफी मांगने की मांग कर रहा है.

कुछ दिन पहले अखबार में प्रकाशित ऑपएड का हवाला देते हुए मधुसूदनन ने जोर दिया है कि भारत की मांग अतार्किक नहीं है. भारतीय राजनयिक ने कहा, ‘‘इसमें भारतीय कानूनी प्रक्रिया का सम्मान शामिल है और दूतावास संबंधी वियना सम्मेलन के तहत हमारे राजनयिक उसी छूट और व्यवहार के हकदार हैं जो अमेरिकी सरकार विदेशों में तैनात अपने अधिकारियों के लिए चाहती है.’’

मधुसूदनन ने कहा कि इस विवाद में राजनयिक न्यूयार्क और भारत दोनों जगहों पर पहली शिकायतकर्ता थी. उन्होंने दलील दी है, ‘‘इसके साथ ही घरेलू कामगार का रोजगार अनुबंध कुछ हद तक भारत सरकार के साथ था जो उसकी चिकित्सा देखरेख, यात्राऔर उनके वेतन का अहम हिस्सा तथा जीवन यापन का खर्चा वहन करती. इसलिए कोई भी विवाद भारतीय अदालत में निपटाया जाना चाहिए.’’

मधुसूदननन ने कहा, ‘‘यह आश्चर्यजनक है कि भारत में एक आरंभिक अवस्था के एक मामले और राजनयिक प्रयासों को नजरंदाज किया गया. यह मामला घरेलू कर्मचारी सेदुर्व्यवहार का नहीं बल्कि आव्रजन उद्देश्यों के लिए अमेरिकी कानूनों से तोड़मरोड़ कर इस्तेमाल करने का है.’’मानवाधिकारों की पैरवी करने वाली मार्टिना ई वंडेनबर्ग द्वारा ऑपएड के प्रकाशन के बाद मधुसूदनन ने उसके जवाब में यह कहा है.

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