नयी दिल्ली : एक महत्वपूर्ण आदेश में उच्चतम न्यायालय ने आज सभी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस, बीडीएस और पीजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एक संयुक्त प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) खत्म करने का अपना विवादित फैसला वापस ले लिया. यह फैसला तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर की सेवानिवृत्ति वाले दिन सुनाया गया था. अदालत ने फैसले का आधार यह दिया कि पीठ के सदस्यों के बीच बिना किसी चर्चा के यह बहुमत वाला फैसला सुनाया गया.
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शीर्ष अदालत ने मेडिकल प्रवेश पर 2013 का अपना विवादित फैसला वापस लिया
नयी दिल्ली : एक महत्वपूर्ण आदेश में उच्चतम न्यायालय ने आज सभी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस, बीडीएस और पीजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एक संयुक्त प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) खत्म करने का अपना विवादित फैसला वापस ले लिया. यह फैसला तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर की सेवानिवृत्ति वाले दिन सुनाया गया था. अदालत ने फैसले […]
न्यायमूर्ति एआर दवे की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ द्वारा 18 जुलाई 2013 के 2… 1 के बहुमत के फैसले को वापस लेने से संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) पर 2011 की अधिसूचना बहाल हो गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि एनईईटी नियम बहाल हो गये हैं और भारतीय चिकित्सा परिषद परीक्षाएं आयोजित कर सकती है.
एमसीआई के वकील ने कहा कि वर्ष 2011 की अधिसूचना ‘‘बहाल” हो गई है लेकिन केंद्र तथा एमसीआई इस बात पर फैसला करेंगे कि वह वर्तमान शैक्षणिक वर्ष के लिए मई में प्रस्तावित मेडिकल प्रवेश परीक्षाएं कैसे आयोजित करेंगे. पीठ ने आज के आदेश में सर्वसम्मति से कहा कि तीन न्यायाधीशों के फैसले पर ‘‘फिर से विचार करने की जरुरत है” क्योंकि ‘‘बहुमत की राय में कुछ बाध्यकारी पूर्व निर्णयों पर विचार नहीं किया गया।” इस फैसले ने निजी कालेजों के लिए अपनी खुद की परीक्षा आयोजित करने का रास्ता साफ किया था.
शीर्ष अदालत ने कहा कि यह उल्लेख करना पर्याप्त है कि बहुमत की राय ने कुछ बाध्यकारी पूर्व निर्णयों पर विचार नहीं किया और विशेष रुप से, हम पाते हैं कि फैसला सुनाए जाने से पहले पीठ के सदस्यों के बीच कोई चर्चा नहीं हुई. शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘इसलिए हम इन पुनर्विचार याचिकाओं का अनुरोध स्वीकारते हैं और 18 जुलाई 2013 के फैसले को वापस लेते हैं और निर्देश देते हैं कि इन मामलों को नये सिरे से सुना जाए. पुनर्विचार याचिकाओं का अनुरोध स्वीकारते हुए इनका निपटारा किया जाता है.”
वर्ष 2013 के फैसले में न्यायमूर्ति दवे ने असहमति वाला फैसला दिया था जबकि न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन (अब सेवानिवृत्त) ने राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) पर तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश कबीर के नजरिये और निष्कर्षों को साझा किया था. तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश की सेवानिवृत्ति वाले दिन सुनाए गए इस फैसले ने शीर्ष अदालत के गलियारों में अफरातफरी मचा दी थी क्योंकि एक वकील ने सोशल नेटवर्किंग साइट पर पहले से नतीजा डाल दिया था.
रोचक बात यह है कि न्यायमूर्ति दवे ने उसी समय अपने असहमति वाले फैसले में लिखा था कि पीठ के तीनों न्यायाधीशों ने ‘‘समय के अभाव के कारण कोई चर्चा नहीं की” जबकि यह सामान्य प्रक्रिया है. वर्ष 2013 के विवादित फैसले के पुनर्विचार का अनुरोध स्वीकारते हुए पीठ ने ‘क्रिश्चियन मेडिकल कालेज, वेल्लोर’ और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर ‘‘नये सिरे से सुनवाई” का आदेश दिया. आज फैसला सुनाने वाली पीठ में न्यायमूर्ति एके सिकरी, न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल, न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति आर भानुमति शामिल थे.
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