रांची/ नयी दिल्ली : पर्यावरण संरक्षण के लिए आज राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने सिमोन उरांव को पद्मश्री से सम्मानित किया. झारखंड की राजधानी रांची से सटे बेडो के रहने वाले सिमोन उरांव जल संरक्षण, वन रक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए कई काम करते हैं. जमीन पर सिमोन गांव वालों को अधिकार मानते हैं उनका मानना है कि पानी, जंगल, झाड़ भगवान देते हैं उन्होंने तीर धनुष लेकर पेड़ों की कटाई का विरोध किया और पर्यावरण संरक्षण के मकसद को पूरा करने के लिए दो बाल जेल जा चुके हैं लेकिन दोनों बार अदालत ने उन्हें समाजिक कार्यकर्ता बताकर उन्हें रिहा कर दिया.
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सिमोन उरांव को राष्ट्रपति ने पद्मश्री से सम्मानित किया
रांची/ नयी दिल्ली : पर्यावरण संरक्षण के लिए आज राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने सिमोन उरांव को पद्मश्री से सम्मानित किया. झारखंड की राजधानी रांची से सटे बेडो के रहने वाले सिमोन उरांव जल संरक्षण, वन रक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए कई काम करते हैं. जमीन पर सिमोन गांव वालों को अधिकार मानते हैं उनका […]
सिमोन 1955 से 1970 के बीच बांध बनाने का अभियान जोरदार ढंग से चलाया. उन्होंने जब यह काम शुरू किया तो 500 लोग उनसे जुड़ गये और साथ मिलकर जल संरक्षण का काम करने लगे उन्होंने भी यह महसूस किया कि बांध बनाने से बहुत मदद मिल रही है. सिमोन कल कारखानों से ज्यादा अन्न का कारखाना तैयार करने के पक्ष में है उन्होंने अपनी इस बात को दिल्ली तक पहुंचाया और एक मंच पर खड़ा हो कर पूछा कि अन्ना का कारखाना कितना है और किसानों की पूंजी क्या है.
सिमोन को पर्यावरण संरक्षण के लिए पहले भी कई पुरस्कार मिले है. उन्हें अमेरिकन मेडल ऑफ ऑनर लिमिटेड स्टा्राकिंग 2002 पुरस्कार के लिए चुना गया. विकास भारती विशुनपुर से जल मित्र का सम्मान मिला. झारखंड सरकार की तरफ से सम्मान. अब उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया . इससे पहले भी कई बार उनके नाम की सिफारिश की गयी थी. बेड़ो प्रखंड के हरिहरपुर जामटोली गांव के खक्सी टोली निवासी सिमोन उरांव ने कहा कि जल एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए पद्मश्री पुरस्कार मिलना उनके व क्षेत्र के लोगों के सामूहिक प्रयास का फल है.
यह उनके लिए सम्मान की बात है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से मीडिया में यह खबर आ रही है कि उन्होंने पद्मश्री पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया, जो सरासर गलत है. इस पुरस्कार के मिलने से उनके परिवार से ज्यादा क्षेत्र के लोग खुश हैं.
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