चंडीगढ़: हरियाणा का कॉरपोरेट केंद्र गुडगांव अब ‘गुरुग्राम’ के नाम से जाना जाएगा. यह फैसला भाजपा सरकार ने किया है. उसने दावा किया कि इलाके के लोग इस संबंध में मांग कर रहे थे. एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि नाम बदलने का फैसला कई मंचों से मिले ज्ञापन के आधार पर किया गया जिसमें कहा गया था कि गुडगांव का नाम ‘गुरुग्राम’ रखना उचित होगा.इस बारे में किंवदंती है कि गुडगांव का नाम गुरु द्रोणाचार्य के नाम पर रखा गया है. वह कौरवों और पांडवों के गुरु थे. यह गांव उनके छात्रों–पांडवों ने उन्हें गुरु दक्षिणा में दिया था और इसलिए इसका नाम गुरुग्राम पडा जो बाद में विकृत होकर गुडगांव हो गया.
प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हरियाणा भागवत गीता की ऐतिहासिक भूमि है और गुडगांव शिक्षा का केंद्र रहा है.’ उन्होंने कहा, ‘‘यह गुरु द्रोणाचार्य के समय से गुडगांव के नाम से जाना जाता था. गुडगांव शिक्षा का महान केंद्र था जहां राजकुमारों को शिक्षा दी जाती थी. इसलिए लंबे समय से लोग मांग कर रहे थे कि गुडगांव का नाम बदलकर गुरुग्राम कर दिया जाए.’ इस फैसले पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया मिश्रित रही है.पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जहां फैसले का स्वागत किया, वहीं पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने फैसले की आलोचना की.
हुड्डा ने कहा कि नाम में बदलाव उचित है और इस बारे में प्रस्ताव उनके कार्यकाल के दौरान भी आया था. सुरजेवाला ने कहा कि गुडगांव की अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग है और यह विशुद्ध रुप से सतही कवायद है. हरियाणा सरकार ने मेवात जिले का नाम बदलकर नूह करने का भी फैसला किया.
प्रवक्ता ने कहा कि मेवात दरअसल एक भौगोलिक और सांस्कृतिक इकाई है, न कि एक शहर. यह हरियाणा से बाहर पडोसी राज्यों उत्तर प्रदेश और राजस्थान तक फैला हुआ है.मेवात जिले का मुख्यालय नूह शहर है. इलाके के लोग और निर्वाचित प्रतिनिधि मांग कर रहे थे कि इसका नाम बदलकर नूह कर दिया जाए. हुड्डा ने कहा कि मेवात का नाम जस का तस रखना चाहिए था क्योंकि इसका नाम स्वतंत्रता संघर्ष में प्रमुख रूप से आता है