नयी दिल्ली : भाजपा की छात्र इकाई एबीवीपी ने मांग की है कि जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय का नाम बदलकर बी आर अम्बेडकर पुस्तकालय रखा जाए और वहां भारतीय संविधान निर्माता की एक प्रतिमा स्थापित की जाए. परिसर में सक्रिय वाम समर्थित समूहों ने इन आरोपों के चलते इस मांग को विडंबनापूर्ण करार दिया है कि एबीवीपी एवं भाजपा सरकार अम्बेडकर राजनीति करने वाले छात्रों पर हमला कर रही हैं. बहरहाल, विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि विश्वविद्यालय के निर्णय लेने वाला शीर्ष निकाय कार्यकारी परिषद ही इस तरह के किसी प्रस्ताव को मंजूरी दे सकती है.
जेएनयू छात्र संघ के संयुक्त सचिव सौरभ शर्मा ने कहा, ‘‘हम मांग करते हैं कि जेएनयू केंद्रीय पुस्तकालय का नाम बदलकर अम्बेडकर पुस्तकालय किया जाए तथा परिसर में दलित अधिकारों के मसीहा की प्रतिमा होनी चाहिए. इसके अलावा हम मूल संविधान की प्रति भी चाहते हैं.” जेएनयू छात्र संघ में सौरभ एकमात्र एबीवीपी प्रतिनिधि हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं रजिस्ट्रार एवं कुलपति से हमारी मांगों पर गौर करने की अपील करता हूं. हम इस बाबत विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद की अगली बैठक में भी एक प्रस्ताव रखेंगे .”, जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष एवं वाम समर्थित आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) से संबद्ध शहला राशिद शोरा ने कहा, ‘‘यह विचित्र विडंबना है कि एक तरफ आपकी :एबीवीपी की:, सरकार अम्बेडकरवादी राजनीति करने वाले छात्रों को डरा रही है वहीं आप अम्बेडकर का लाभ लेने पर तुले हैं. यदि आप अम्बेडकर को अपनाते हैं तो आपको रोहित वेमुला को भी अपनाना होगा.”
शहला ने आरोप लगाया, ‘‘डीयू (ल्ली विश्वविद्यालय)में कई अम्बेडकर जयंती कार्यक्रमों को बाधित करने, पोस्टर..बैनर फाडने, अम्बेडकर से संबंधित बैठकों में आ धमकने तथा देश के विभिन्न हिस्सों में ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाने के बाद एबीवीपी ने जेएनयू में बैनर लगाये हैं जिसमें जेएयू के केंद्रीय पुस्तकालय का नाम बदलकर अम्बेडकर पुस्तकालय करने की मांग के समर्थन में हस्ताक्षर करने को कहा गया है.” उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि महत्वपूर्ण प्रकाशनों के अंशदान को सरकार से मिलने वाले धन में कटौती के चलते कम कर दिया गया है.
शहला ने कहा, ‘‘महत्वपूर्ण पत्रिकाओं का अंशदान समाप्त किया जा रहा है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय से इस बात का जबरदस्त दबाव है कि रात के समय पुस्तकालय को बंद रखा जाए. पुस्तकालय अध्यक्ष के साथ हरेक वार्तालाप इस प्रलाप के साथ शुरु होता है कि धन नहीं है. एबीवीपी मानव संसाधन विकास मंत्रालय से कृपया यह भी पूछेगा कि जब इसी मंत्रालय की स्वयं की रैंकिंग के अनुसार यह सर्वोत्तम विश्वविद्यालय है तो इसके पुस्तकालय को धन देना अनुचित रुप से बंद क्यों किया जा रहा है.”
दोनों समूहों में हाल में संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी चढाने को लेकर जेएययू परिसर में एक कार्यक्रम के कारण तनातनी हो गई थी. एबीवीपी ने इस कार्यक्रम का विरोध किया था. जेएनयू रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने कहा कि प्रशासन को अभी तक कोई औपचारिक प्रस्ताव या मांग नहीं मिली है. उन्होंने कहा, ‘‘इस संबंध में प्रशासन के पास अभी तक कोई औपचारिक मांग नहीं आयी है. यदि कोई प्रस्ताव हुआ तो उसे कार्यकारी परिषद मंजूरी देगी, जो इस प्रकार के मामलों में निर्णय करने वाली सांविधिक निकाय है.”