बिल ना देने पर मरीजों को रोकने वाले अस्पतालों पर कार्रवाई करे सरकार : हाईकोर्ट
मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से कहा है कि वह एक महीने के भीतर एक तंत्र विकसित करे जो उन्हें उन अस्पतालों और चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम बनाएगा जो चिकित्सा बिल का भुगतान नहीं करने पर मरीजों और शव को रोककर रखते हैं. न्यायमूर्ति अभय ओका ने एक जनहित याचिका […]
मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से कहा है कि वह एक महीने के भीतर एक तंत्र विकसित करे जो उन्हें उन अस्पतालों और चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम बनाएगा जो चिकित्सा बिल का भुगतान नहीं करने पर मरीजों और शव को रोककर रखते हैं.
न्यायमूर्ति अभय ओका ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कल कहा, ‘‘जब भी अवैध रुप से रोके जाने का कोई मामला आता है, फौजदारी कानून लागू होता है. इसलिए एक तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है, जो मरीजों और उनके परिवार के सदस्यों की ओर से दायर शिकायत के आधार पर कार्रवाई करने में राज्य को सक्षम बनाएगा.
” पीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें बिल का भुगतान नहीं करने पर मरीजों को रोककर रखने के मामले को उठाया गया है. पीठ ने सरकार से यह भी कहा कि वह अस्पतालों और चिकित्सा परामर्शदाताओं से संवाद करे ताकि वे इस तरह के मुद्दों को टालने का कोई तरीका ढूंढें.
जनहित याचिका में कहा गया है कि ऐसे अनेक मामले हैं जहां बिलों का भुगतान नहीं करने पर मरीजों को पकडकर रखा गया या उनके शव परिवारों को नहीं सौंपे जाते हैं.अदालत के मित्र माधव थोराट ने कहा कि इस मुद्दे से निपटने के लिए कोई नियमन होना चाहिए। इसके बिना उच्च न्यायालय परमादेश रिट या इस मामले में निर्देश नहीं जारी कर सकता.