कश्मीर हिंसा : फारुख अब्दुल्ला ने कहा, सरकार विफल, पीडीपी बोली अस्थिर करने का कुटिल प्रयास
श्रीनगर : कश्मीर में जारी हिंसा और तनाव की स्थिति के बीच आज प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार को इस तरह की हिंसा को रोकना चाहिए लेकिन सरकार पूरी तरह से विफल है.केंद्र सरकार भी लगातार प्रदेश की स्थिति पर नजर बनाये हुए हैं. कुछ दिनों पहले जम्मू कश्मीर की […]
श्रीनगर : कश्मीर में जारी हिंसा और तनाव की स्थिति के बीच आज प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार को इस तरह की हिंसा को रोकना चाहिए लेकिन सरकार पूरी तरह से विफल है.केंद्र सरकार भी लगातार प्रदेश की स्थिति पर नजर बनाये हुए हैं. कुछ दिनों पहले जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी वहां के हालात पर चर्चा के लिए गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी.
दूसरी तरफ कश्मीर में अशांति के माहौल के बीच सत्तारुढ पीपुल्स डेमोक्रैटिक पार्टी (पीडीपी) ने आज कहा कि ऐसा लगता है कि निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा जानबूझकर हिंसा को बढ़ावा देकर स्थानीय अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने का कुटिल प्रयास किया जा रहा है.
पीडीपी प्रवक्ता और पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के सलाहकार रहे वहीद पारा ने कहा कि ऐसे निहित स्वार्थी तत्वों को उनके नापाक इरादों में कामयाब होने से रोकने के लिए समान विचार वाले लोगों को एकजुट होना होगा. उन्होंने एक बयान में कहा कि ऐसा लगता है कि कश्मीर में हिंसा का दुष्चक्र जारी रखने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को जानबूझकर अस्थिर एवं बर्बाद करने का निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा प्रयास किया जा रहा है.
पीडीपी नेता ने कहा, ‘‘ हम कश्मीरियों को एक नयी सरकार बनने के समय और कश्मीर में पर्यटक मौसम शुरु होने के समय हमेशा होने वाली इस तरह की हिंसक घटनाओं पर काबू पाना है.’ सेना के एक शिविर पर हमले के लिए कथित तौर पर युवाओं को जिम्मेदार ठहराने के लिए पारा विवाद के केंद्र हैं. सेना के शिविर पर हमले के बाद सेना द्वारा भीड को तितर-बितर करने के लिए कल कुपवाडा के नाथनूसा इलाके में चलाई गई गोली में एक युवक की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए.
हालांकि, पारा ने इस संबंध में उनसे जोडे गये बयान से इनकार किया. उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने केवल यह कहा कि नागरिकों के मारे जाने को किसी भी तरह से न्यायोचित ठहराया नहीं जा सकता है और हमें पीडित के परिजनों को न्याय मिलने की उम्मीद करनी चाहिए क्योंकि सेना ने पहले ही इस घटना की जांच का आदेश दिया है और लोगों का विश्वास बहाल करने के लिए उसके तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचने की जरुरत है.’