नैनीताल : उत्तराखंडमेंराष्ट्रपति शासन लगाये जाने के मामले की सुनवाई करते हुए नैनीतालहाइकोर्ट ने आजकहाकि राष्ट्रपति भी गलतीकरसकते हैं और वे कोईराष्ट्रपति शासन का निर्णयकिसीराजा का निर्णय नहींहैकि उसकी समीक्षा नहीं हो सकती है. हाइकोर्ट की बेंच ने कहा कि अगर राष्ट्रपति के फैसले गलत हो सकते हैं तो हर विषय की न्यायिक समीक्षा हो सकती है. अदालत ने कहा कि हम राष्ट्रपति के विवेक व बुद्धिमत्ता पर संदेह नहीं कर रहे हैं, लेकिन सबकुछ न्यायिक समीक्षा के तहत आता है. यह टिप्पणी नैनीताल हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने की है.
केंद्र सरकार की ओर से दलील दी गयी कि वह राष्ट्रपति शासन लगाने के निर्णय की समीक्षा नहीं कर सकती है. इस पर अदालत ने कहा कि उसे हर फैसले की समीक्षा का हक है और अदालत की समीक्षा के दायरे से बाहर कुछ भी नहीं है.
अदालत ने कहा कि केंद्र द्वारा राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा कर राज्यपाल के माध्यम से शासन करने का निर्णय संदेहास्पद लगता है.
उधर, हाइकोर्ट के इस टिप्पणी के बाद एक निजी न्यूज चैनल ने खबर दी है कि गृह मंत्रालय के सूत्रों ने उत्तराखंड हाइकोर्टकीटिप्पणी को गलत बताया है और कहा है कि सरकारइस टिप्पणीको निरस्त कराने या वापस लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट जा सकती है. गृहमंत्रालय इसे राष्ट्रपति पर निजी टिप्पणी मान रहा है.