देहरादून : भाजपा के प्रदर्शन के दौरान घायल होने के बाद देश विदेश में सहानुभूति का विषय बन गये उत्तराखंड पुलिस के घोडा ‘शक्तिमान’ जिंदगी की जंग हार गया है. एक माह से ज्यादा समय तक जीवन से संघर्ष करने के बाद ‘शक्तिमान’ ने बुधवार शाम यहां दम तोड दिया. इस मामले में आरोपी भाजपा विधायक गणेश जोशी ने कहा है कि मेरी गलती से ‘शक्तिमान’ की मौत नहीं हुई. यदि इस मामले में मैं गलत पाया जाता हूं तो मेरे पैर को भी काट दिया जाए. आपको बता दें कि इस मामले में जोशी जेल भी जा चुके हैं और फिलहाल वह जमानत पर बाहर हैं.
Very sad. I already said that I am not at fault,if found guilty then cut my leg-Ganesh Joshi,BJP MLA on Shaktimaan pic.twitter.com/0qvdpDaZTe
— ANI (@ANI) April 20, 2016
इधर, केंद्रीय मंत्री और पशु अधिकारों की पैरोकार मेनका गांधी ने पुलिस के घोडे शक्तिमान की मौत के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को गिरफ्तार करने की बात करते हुए मांग की कि अब पशुओं को पुलिस बलों का हिस्सा नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मैं शक्तिमान की मौत से बहुत दुखी हूं. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. घोडों को अब हमारे पुलिस बल का हिस्सा नहीं होना चाहिए.
कल हुई मौत
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डा सदानंद दाते ने बताया कि शक्तिमान की बुधवार शाम पुलिस लाइंस में मौत हो गयी है. उन्होंने बताया कि गत 14 मार्च को पैर की हड्डी टूटने से घायल हुए शक्तिमान का आपरेशन कर उसे कृत्रिम टांग लगायी गयी थी लेकिन वह चोट से पूरी तरह नहीं उबर पाया था और उसकी मौत हो गयी. दाते ने बताया कि घोडे को पट्टी आदि करते समय एनेस्थीसिया देना पडता था और प्रारंभिक जांच में उसकी मौत की वजह एनस्थीसिया का शाक लग रहा है. हालांकि, उन्होंने कहा कि शक्तिमान का पोस्टमार्टम किया गया है और उसकी मौत के सही कारणों का पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकेगा. दाते ने बताया कि देर शाम उसे पुलिस लाइंस में ही दफना दिया गया। शक्तिमान वर्ष 2006 से उत्तराखंड पुलिस में अपनी सेवाये दे रहा था.
गौरतलब है कि 14 मार्च को भाजपा के ‘विधानसभा घेराव’ कार्यक्रम के दौरान तैनात उत्तराखंड पुलिस के दस्ते में शामिल शक्तिमान की टांग टूट गयी थी और इस मामले में भाजपा के मसूरी से विधायक गणेश जोशी पर उस पर लाठी से हमला कर उसकी टांग तोडने का आरोप लगा था. तेरह वर्षीय शक्तिमान की पिछली बांयी टांग में कई हडिडयां टूटी थीं और घटना के एक दिन बाद उसका आपरेशन किया गया था लेकिन उसके बाद भी घोडे को रस्सियों के सहारे खडे करने के प्रयास विफल रहे. घोडे के उपचार के लिए सेना के साथ ही पुणे और अमेरिका से भी चिकित्सक बुलाये गये और उनकी सलाह पर शरीर मे संक्रमण फैलने के डर से उसकी टांग को काटकर अलग कर दिया गया था और उसकी जगह कृत्रिम टांग लगायी गयी थी.
इस मामले में विधायक जोशी पर पुलिस ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा भी दर्ज किया था. विधायक ने हालांकि, इस आरोप को गलत बताया और कहा कि शक्तिमान की टांग भाजपा कार्यकर्ताओं को रोकने के लिये विधानसभा के बाहर बनाये गये बैरिकेडिंग में फंसने से चोटिल हुई थी. इस मामले को लेकर भाजपा और तत्कालीन सत्ताधारी कांग्रेस के बीच राजनीतिक तल्खी तब और बढ गयी जब विपक्षी भाजपा ने विधायक के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लेने की मांग की जिसे यह कहते हुए नकार दिया कि मुख्यमंत्री पुलिस के काम में हस्तक्षेप नहीं करेंगे.
गत 18 मार्च की सुबह पुलिस द्वारा गणेश जोशी को गिरफ्तार कर लिया गया जिसे भाजपा ने एक राजनीतिक षडयंत्र बताते हुए सडक से लेकर सदन तक राज्य सरकार के खिलाफ संघर्ष छेड दिया. भाजपा ने यह भी आरोप लगाया कि 18 मार्च को विधानसभा में विनियोग विधेयक पर उनके द्वारा रखी गयी प्रस्तावित मत विभाजन की मांग के चलते सरकार ने अपनी मुश्किले कम करने के लिये भाजपा के एक विधायक को गिरफ्तार करवाकर सदन में उसकी सदस्य संख्या कम करने की कोशिश की. हालांकि, चार दिन जेल मे रहने के बाद जोशी को उत्तराखंड उच्च न्यायालय से इस मामले में जमानत मिल गयी और फिलहाल वह जेल से बाहर हैं.
शक्तिमान की घटना की खबर मिलते ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी शक्तिमान को देखने पुलिस लाइंस पहुंचे. उसकी मौत को दुखद बताते हुए उन्होंने कहा कि उसका बेहतर इलाज किया गया था लेकिन यह दुखद है कि उसे बचाया नहीं जा सका. यहां जारी एक बयान में भट्ट ने कहा, ‘हालांकि आज शक्तिमान अब हमारे बीच में नहीं रहा किन्तु कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह से घायल शक्तिमान को अपना राजनीतिक हथियार बनाने की कोशिश कर भाजपा विधायक गणेश जोशी एवं भाजपा को बदनाम किया वह हमेशा निन्दनीय है और निन्दनीय रहेगा. उन्होंने कहा कि हमें शक्तिमान पर कोई राजनीति नहीं करनी है किन्तु हम सभी इस प्रकरण से बहुत दुखी हैं.