शिमला एयरपोर्ट मामले में SC के चीफ जस्टिस ने कहा- केंद्र सरकार हनुमान की तरह है…
नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आज बताया कि उन्होंने 19 अप्रैल को नोटिफिकेशन जारी कर सभी एयरलाइंस को कहा है कि वो शिमला के लिए विमान सेवा जल्द शुरू कर दे लेकिन कोर्ट इसमें कोई आदेश जारी कर दे तो सहूलियत होगी. इसपर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा […]
नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आज बताया कि उन्होंने 19 अप्रैल को नोटिफिकेशन जारी कर सभी एयरलाइंस को कहा है कि वो शिमला के लिए विमान सेवा जल्द शुरू कर दे लेकिन कोर्ट इसमें कोई आदेश जारी कर दे तो सहूलियत होगी. इसपर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि केंद्र सरकार हनुमान की तरह है, जिसे जागृत न किया जाए तो उसकी शक्तियों का अहसास किसी को नहीं होता है. शिमला के लिए वायु सम्पर्क की कमी पर कडा संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज सक्षम प्राधिकार को निर्देश दिया कि वह चार मई तक बताये कि हिमाचल प्रदेश की राजधानी के लिए वायु सेवा कब से शुरू की जायेगी और इस बारे में जवाब ‘न’ में होने पर आदेश पारित करने की चेतावनी दी.
भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा, ‘‘अगर इसका जवाब ‘न’ हुआ तब हम इसके लिए जो लोग जिम्मेदार होंगे, उनके खिलाफ आदेश जारी करेंगे. ” पीठ ने नागर विमानन मंत्रालय समेत सक्षम प्राधिकार को इस विषय पर उनकी ओर से जारी निर्देश की प्रति पीठ के समक्ष पेश करने को कहा और मामले की सुनवाई की अगली तारीख चार मई निर्धारित कर दी. इसमें कहा गया है कि इस बारे में पिछले वर्ष 16 दिसंबर को जारी अंतरिम आदेश इन अधिकारियों को श्रेणी-एक मार्गो से श्रेणी-दो मार्गो के लिए 10 प्रतिशत क्षमता तैनाती प्रदान करने की जिम्मेदारी को पूरा करने से नहीं रोकता है. सरकार की ओर से निर्धारित मार्गो संबंधी दिशानिर्देशों में श्रेणी-एक मार्गो को व्यस्त मार्ग में रखा गया है जिनमें दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, हैदाराबाद, बेंगलूर और चेन्नई जैसे शहर शामिल हैं.
श्रेणी-दो मार्गो में जम्मू कश्मीर, पूर्वोत्तर, द्विपीय क्षेत्र शामिल हैं. मंत्रालयों, विमानन नियामक डीजीसी समेत सभी सक्षम प्राधिकार ने इन सेवाओं को पेश किये जाने का पक्ष लिया. इस पर पीठ ने कहा, ‘‘ हम उम्मीद करते हैं कि इसमें कोई राजनीति नहीं होगी. ” सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह पूर्वोत्तर और शिमला के लिए वायु सम्पर्क की कमी पर गहरी आपत्ति व्यक्त की थी.