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उत्तराखंड के मुद्दे पर हंगामे के कारण दूसरे दिन भी राज्यसभा में नहीं हुआ कामकाज

नयीदिल्ली : उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर आज कांग्रेस सदस्यों के बार-बार के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दिन भर बाधित होती रही. अंतत: तीन बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी.इससेपहले दो बजे सदन को स्थगित किया […]

नयीदिल्ली : उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर आज कांग्रेस सदस्यों के बार-बार के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दिन भर बाधित होती रही. अंतत: तीन बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी.इससेपहले दो बजे सदन को स्थगित किया गया था. हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक 11 बज कर 35 मिनट पर दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दीगयी. कांग्रेस सदस्य उत्तराखंड में पार्टी की सरकार को बरखास्त किए जाने के संबंधमें अपने प्रस्ताव पर चर्चा करने और एक संकल्प पारित करने की मांग कर रहे थे जिसे सरकार ने नामंजूर कर दिया. हंगामे की वजह से सदन में शून्यकाल नहीं हो पाया.

वित्त मंत्री और सदन के नेता अरुण जेटली ने कहा कि उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन की उद्घोषणा पर ही चर्चा हो सकती है और जब इस विषय पर चर्चा होगी तब सदस्य अपनी बात रख सकते हैं.

राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने को सही बताते हुए जेटली ने कहा कि उत्तराखंड में संवैधानिक व्यवस्था उस समय ठप होगयी जब उत्तराखंड विधानसभा में पीठासीन अधिकारी ने 67 सदस्यों में से 35 द्वारा विनियोग विधेयक के विरोध में मतदान किए जाने को नजरअंदाज कर दिया और अल्पमत को बहुमत में बदल दिया. यह इसलिए किया गया ताकि विनियोग विधेयक को पारित घोषित किया जा सके.

उन्होंने कहा ‘‘विनियोग विधेयक के विरोध में 35 सदस्यों के मतदान करने के बावजूद पीठासीन अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंच गए कि विनियोग विधेयक पारित हो गया. आजाद भारत के 68 साल के इतिहास में ऐसा पहले कभी भी नहीं हुआ. उत्तराखंडमें संवैधानिक व्यवस्था पूरी तरह ठप होगयी है.’

इस पर विरोध जताते हुए कांग्रेस सदस्य आसन के समक्ष आ कर सरकार के खिलाफ नारे लगाने लगे. उप सभापति पीजे कुरियन ने कहा कि आसन चर्चा कराने के पक्ष में है और सदस्यों को सदन चलने देना चाहिए. चर्चा के इच्छुक सदस्य इसके लिए नोटिस दे दें ताकि चर्चा हो सके. उन्होंने सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और कार्यवाही चलने देने का आग्रह किया. बहरहाल, सदन में व्यवस्था न बनते देख उन्होंने बैठक को 11 बज कर 35 मिनट पर दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया.

इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने उत्तराखंड का मुद्दा उठाते हुए कहा कि यह एक गंभीर मामला है और लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित सरकार को अस्थिर किया गया है.

शर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी ने नियम 267 के तहत कामकाज निलंबित करने और केंद्र सरकार द्वारा लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित उत्तराखंड सरकार को अस्थिर करने के लिए अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग किए जाने के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए नोटिस दिया है.

उन्होंने कहा कि ऐसा ही नोटिस कल भी दिया गया था लेकिन तब सत्ता पक्ष ने कहा था कि अदालतोंमें विचाराधीन मुद्दे पर सदन में चर्चा नहीं की जा सकती. शर्मा ने कहा कि सरकार ने उत्तराखंड में जो कुछ किया है उसे बहानों की आड़ ले कर वह छिपा नहीं सकती. उन्होंने सरकार पर अधिकारों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अल्पकालिक चर्चा के लिए नियम 267 और नियम 176 में किसी भी मुद्दे पर बहस के लिए कोई शर्त नहीं है. जहां तक अदालत में विचाराधीन मुद्दे की बात है तो पहले कई बार ऐसे मुद्दों पर सदन मे चर्चा की जा चुकी है. इसी पार्टी के प्रमोद तिवारी ने कहा कि संविधान की व्यवस्था के तहत ही जनप्रतिनिधि निर्वाचित होते हैं और संसद में जनता की बात रखते हैं. लेकिन केंद्र का राज्यों की सरकारों में हस्तक्षेप करना सही नहीं है.

संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सवाल किया कि कांग्रेस क्या सचमुच चर्चा चाहती है या उसका सदन की कार्यवाही को बाधित करने का इरादा है.

सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने भी इस मुद्दे पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत एक नोटिस दिया है. उन्होंने कहा कि वह अदालत में विचारधीन मुद्दे पर सदन में चर्चा न करने के सरकार के तर्क से सहमत नहीं हैं और आसन को इस मुद्दे पर नियम 267 के तहत चर्चा करने के लिए सदन की राय लेनी चाहिए. बसपा की मायावती ने चर्चा के लिए कार्यवाही निलंबित करने का समर्थन करते हुए कहा कि अनुच्छेद 356 का प्रावधान जिस उद्देश्य के लिए किया गया है उसके तहत उसका उपयोग नहीं किया गया बल्कि राजनीतिक हितों को पूरा करने के लिए अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग किया जाता रहा है. उन्होंने कहा कि सत्ता में रहने वाली सरकार अक्सर राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारों को अस्थिर करने के लिए अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग करती है और इसीलिए इस मुद्दे पर चर्चा की जानी चाहिए.

जेटली द्वारा चर्चा से इनकार किए जाने पर कांग्रेस सदस्य सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए आसन के समक्ष आ गए. उप सभापति ने उनसे सदन की कार्यवाही चलने देने का आग्रह किया लेकिन हंगामा थमते न देख उन्होंने 11 बज कर 35 मिनट पर बैठक को दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया.

सदन की बैठक जब 12 बजे पुन: शुरू हुई तब भी वही नजारा था. सभापति हामिद अंसारी ने प्रश्नकाल शुरू करने का ऐलान किया लेकिन आसन के समक्ष कांग्रेस के सदस्यों की उत्तराखंड के मुद्दे पर नारेबाजी जारी थी. सभापति ने सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और प्रश्नकाल चलने देने का आग्रह किया लेकिन सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने कुछ ही देर में बैठक को आधे घंटे के लिए स्थगित कर दिया.

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