सुप्रीम कोर्ट ने इतालवी मरीन के इटली प्रवास की मीयाद 30 सितंबर तक की
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केरल तट पर दो भारतीय मछुआरों की हत्या के 2012 के मामले में आरोपी इतालवी मरीन मासिमिलियानो लातोरे के इटली प्रवास की मीयाद आज 30 सितंबर तक बढ़ाई. केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि इस मामले में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता कार्यवाही दिसंबर 2018 तक पूरी कर ली जायेगी. न्यायमूर्ति […]
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केरल तट पर दो भारतीय मछुआरों की हत्या के 2012 के मामले में आरोपी इतालवी मरीन मासिमिलियानो लातोरे के इटली प्रवास की मीयाद आज 30 सितंबर तक बढ़ाई. केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि इस मामले में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता कार्यवाही दिसंबर 2018 तक पूरी कर ली जायेगी. न्यायमूर्ति ए. आर दवे, न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ और न्यायमूर्ति अमिताभ राय की खंडपीठ ने यहां इतालवी अधिकारियों से कहा कि वह उन शर्तों को पालन करने का एक हलफनामा दें जिसके तहत लातोरे को भारत छोड़ने की इजाजत दी गयी थी.
कोर्ट ने बढ़ाया वक्त
अदालत ने कहा कि 30 अप्रैल से पहले एक ताजा हलफनामा देना होगा जब लातोरे के इटली प्रवास की मीयाद का पुराना विस्तार खत्म होने वाला है. सालिसिटर जनरल रणजीत कुमार ने खंडपीठ को जर्मनी में ‘इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फार द लॉ ऑफ सी’ :आईटीएलओएस: के समक्ष कार्यवाही की समय-तालिका की जानकारी दी. कुमार ने अदालत से कहा, ‘‘2018 का अंतिम माह है जब फैसला आएगा।” सालिसिटर जनरल ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि भारत ने 2019 में कार्यवाहियों के पूरे होने पर कोई सहमति नहीं जताई है.
कोर्ट ने जानकारी मांगी थी
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने इस साल 13 जनवरी को केंद्र से कहा था कि वह इस मामले में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की स्थिति से उसे अवगत कराए. इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने दोनों मरीन के खिलाफ सुनवाई समेत सभी फौजदारी र्कावाहियों पर स्थगन लगा दिए थे. उल्लेखनीय है कि मासिमिलियानो लातोरे के साथ उसका सहयोगी साल्वातोरे जिरोने भी केरल तट के निकट दो मछुआरों की हत्या के मामले में आरोपित है. उच्चतम न्यायालय ने भारत और इटली के संयुक्त आग्रह को स्वीकार करते हुए कहा था कि जब तक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता से न्याय क्षेत्र का यह मुद्दा हल नहीं हो जाता कि किस देश को सुनवाई संचालित करने का अधिकार हैं, तब तक कार्यवाही स्थगित रहेंगी.
भारत सरकार का रुख स्पष्ट है
सालिसिटर जनरल ने कहा कि जब तक मामला ट्रिब्यूनल में लंबित रहेगा, भारत में तमाम कार्यवाहियां स्थगित रहेंगी. उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार का स्पष्ट रुख है कि जब तक ट्रिब्यूनल कोई फैसला नहीं देता, कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती. मरीन की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील सोली सोराबजी चाहते थे कि लातोरे के इटली प्रवास को इस साल के अंत तक का विस्तार दे दिया जाए, लेकिन उच्चतम न्यायालय उनसे सहमत नहीं हुआ.
भारतीय मछुआरों की हत्या का मामला
सोराबजी का कहना था कि चूंकि कोई सुनवाई नहीं हो रही है, लातोरे को वापस आने के लिए बाध्य करने की कोई जरूरत नहीं है. दोनों मरीन एनरिका लेक्सी पर सवार थे. उन पर 15 फरवरी 2012 को केरल तट के निकट दो भारतीय मछुआरों की हत्या करने का आरोप है. मछुआरों के तरफ से पेश वकील ने एतराज जताया कि भारत से जाने की इस तरह की राहत दूसरे मरीन साल्वातोर जिरोने को नहीं दी जानी चाहिए.