ये असंभव है कि मुसलिमों ने अपने ही लोगों की हत्या का फैसला किया हो : अदालत

मुंबई: साल 2006 के मालेगांव बम धमाकों के आठ आरोपियों को आरोपमुक्त करने वाली विशेष एनआईए अदालत ने कहा है कि यह असंभव है कि आरोपियों ने, जो खुद मुस्लिम हैं, शब-ए-बरात जैसे पवित्र दिन दो समुदायों में दुर्भावना पैदा करने के लिए अपने ही लोगों को मारने का फैसला किया होगा. अदालत ने यह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 26, 2016 10:20 PM

मुंबई: साल 2006 के मालेगांव बम धमाकों के आठ आरोपियों को आरोपमुक्त करने वाली विशेष एनआईए अदालत ने कहा है कि यह असंभव है कि आरोपियों ने, जो खुद मुस्लिम हैं, शब-ए-बरात जैसे पवित्र दिन दो समुदायों में दुर्भावना पैदा करने के लिए अपने ही लोगों को मारने का फैसला किया होगा. अदालत ने यह भी कहा कि आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के अधिकारियों ने ‘‘गलत तरीके से’ अपने सार्वजनिक कर्तव्य का पालन किया और महज संदेह के आधार पर उन्हें इस मामले में आरोपी बना दिया. मालेगांव में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में 37 लोगों के मारे जाने की घटना के 10 साल बाद कल अदालत ने सबूतों के अभाव में आठ मुस्लिम युवकों के खिलाफ आरोप निरस्त कर दिए.

एनआईए के विशेष न्यायाधीश वी वी पाटिल ने कहा, ‘‘आठ सितंबर 2006 को हुए धमाके के पीछे एटीएस की ओर से दिखाए गए मकसद या उसका आधार, मेरी नजर में एक आम समझदारी वाले इंसान को स्वीकार्य नहीं होगा. मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि इससे ठीक पहले गणेश विसर्जन हुआ था.आरोपियों का यदि ऐसा कोई मकसद होता तो मालेगांव में दंगे हो सकते थे, फिर उन्हें गणेश विसर्जन दिवस के समय बम रखने चाहिए थे, जिससे मरने वालों में हिंदुओं की संख्या कहीं ज्यादा होती.’ अदालत ने यह भी कहा कि एटीएस के जांच दस्तावेजों की छानबीन के बाद यह बात सामने आई कि आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही आगे बढाने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है.
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं यह भी मानता हूं कि आरोपियों की ओर से ऐसा कोई अपराध किए जाने का प्रथम दृष्टया भी मामला नहीं बनता, जिससे उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों में से किसी में भी आरोप तय किए जा सकें.’ अदालत ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि चूंकि आरोपियों की पृष्ठभूमि आपराधिक रही थी, इसलिए एटीएस ने उन्हें बलि का बकरा बना दिया. बहरहाल, यहां यह जिक्र कर देना चाहिए कि जांच करने वाले एटीएस अधिकारियों की इन आरोपियों से कोई दुश्मनी नहीं थी. लिहाजा, मेरे हिसाब से उन्होंने अपना सार्वजनिक कर्तव्य तो निभाया, लेकिन गलत तरीके से. इसलिए उन्हें इसके लिए जिम्मेदार करार नहीं दिया जाना चाहिए.’ नासिक के पास मालेगांव में हमीदिया मस्जिद के नजदीक एक कब्रगाह के बाहर हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में 100 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए थे. कब्रगाह के पास खडी साइकिलों पर बम लगाए गए थे और शब-ए-बरात के अवसर पर मस्जिद में जुमे की नमाज के बाद उनमें धमाके हुए

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