नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में आज उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने के मुद्दे पर सुनवाई हुई. उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने से जुड़े सात सवाल तय किए और केंद्र से उनका जवाब मांगा. शीर्ष न्यायालय आज राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाने के हाइकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की सुनवाई कर रहा था.उच्चतम न्यायालय ने अपने एक सवाल में पूछा, क्या राज्यपाल सदन में शक्ति परीक्षण के लिए अनुच्छेद 175(2) के तहत मौजूदा तरीके से संदेश भेज सकते हैं.
उच्चतम न्यायालय ने पूछा, क्या अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाने के उद्देश्यों के लिए विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से विधायकों को अयोग्य ठहराया जाना प्रासंगिक मुद्दा है.उच्चतम न्यायालय ने यह भी सवाल किया कि क्या राष्ट्रपति केंद्रीय शासन लगाने के लिए विधानसभा की कार्यवाही पर गौर कर सकते हैं. उच्चतम न्यायालय ने इस सवाल का जवाब मांगा कि कब विनियोग विधेयक के संबंध में राष्ट्रपति की भूमिका की जरूरत होती है.
उच्चतम न्यायालय ने पूछा, क्या सदन में शक्ति परीक्षण में विलंब राष्ट्रपति शासन लगाने का एक आधार है. नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केंद्र की अपील पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि मौजूदा मामले से उत्तराखंड के मुख्य सचिव का कोई लेना-देना नहीं है.
उत्तराखंड मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अटर्नी जनरल से सवाल किया कि क्या एक स्टींग ऑपरेशन को राज्य में राष्ट्रपति शासन का अाधार बनाया जाये? वहीं, अटर्नी जनरल ने कहा कि स्पीकर के गलत रवैये के कारण राज्य में वित्त विधेयक पारित नहीं हो पाया. इस मामले में 29 अप्रैल को हाेने वाले शक्ति परीक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है और अगली सुनवाई की तारीख तीन मई निर्धारित किया गया है.
मालूम हो कि पिछले दिनों उत्तराखंड हाइकोर्ट ने राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाने का फैसला सुनाया था, जिसके खिलाफ केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. 22 अप्रैल को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाने के हाइकोर्ट के फैसले पर 27 अप्रैल तक रोक लगा दी थी. साथ ही 26 अप्रैल तक हाइकोर्ट के फैसले की कॉपी मांगी थी.
संसद में भी हुआ है हंगामा
25 अप्रैल से शुरू हुए संसद के सत्र में दो दिन राज्यसभा में विपक्षी कांग्रेस ने उत्तराखंड के मुद्दे पर खूब हंगामा किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही दो दिन तक नहीं चल सकी. इस मामले मेंवित्तमंत्री अरुण जेटली नेस्पीकर की भूमिकापर सवाल उठाया था.उन्होंने कहा था कि उत्तराखंड में स्पीकर के कारण संवैधानिक संकट उत्पन्नहो गया था, जिससे राष्ट्रपति शासन लगानाजरूरीथा. उन्होंने कहाथा कि स्पीकर ने अल्पमत को बहुमत में और बहुमतको अल्पमतमें बदल दिया था,जब68विधायकों में 35 विधायक लिख करदेरहेथे हमविधेयकके खिलाफ वोट देंगे.कांग्रेसने इसेसंवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति पर अनुचितटिप्पणी करार देते हुए जेटलीसे अपने शब्द वापसलेने की मांग की थी.