सुब्रह्मण्यम स्वामी : इंदिरा से लेकर सोनिया तक वार, ”अटल” को भी नहीं छोड़ा

इंटरनेट डेस्क नयी दिल्ली :सुब्रमण्यम स्वामी अलहदा इनसान हैं. उन्हें वन मैन आर्मी माना जाता है. वे कानून भी जानते हैं, अर्थशास्त्र भी जानते हैं और कूटनीति व राजनीति तो उनके रंगों में इतनी तेजी से दौड़ती है कि वे कब क्या करेंगे, उनका करीबी से करीबी व्यक्ति भी नहीं बता सकता. उनके ‘शिकार’ भारतीय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 28, 2016 12:18 PM

इंटरनेट डेस्क

नयी दिल्ली :सुब्रमण्यम स्वामी अलहदा इनसान हैं. उन्हें वन मैन आर्मी माना जाता है. वे कानून भी जानते हैं, अर्थशास्त्र भी जानते हैं और कूटनीति व राजनीति तो उनके रंगों में इतनी तेजी से दौड़ती है कि वे कब क्या करेंगे, उनका करीबी से करीबी व्यक्ति भी नहीं बता सकता. उनके ‘शिकार’ भारतीय राजनीति की दिग्गज से दिग्गज शख्सीयत होती रही है. चाहे अटल बिहारी वाजपेयी हों, सोनिया गांधी-राहुल गांधी या फिर जयललिता हों. वे ‘बड़बोले’ भी माने जाते हैं और तथ्यों और दस्तावेजों में बेहद पक्का भी. अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर डील पर वे नये सिरे से कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी पर हमलावर हैं. राज्यसभा में आये हुए उन्हें अभी दो-चार दिन ही हुए हैं, लेकिन उन्होंने सदन के अंदर अपनी उपस्थिति से कांग्रेस को बेचैन और हैरान-परेशान कर दिया है.

‘शिकार’ भारतीय राजनीति की दिग्गज से दिग्गज शख्सीयत होती रही है. चाहे अटल बिहारी वाजपेयी हों, सोनिया गांधी-राहुल गांधी या फिर जयललिता हों. वे ‘बड़बोले’ भी माने जाते हैं और तथ्यों और दस्तावेजों में बेहद पक्का भी. अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर डील पर वे नये सिरे से कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी पर हमलावर हैं. राज्यसभा में आये हुए उन्हें अभी दो-चार दिन ही हुए हैं, लेकिन उन्होंने सदन के अंदर अपनी उपस्थिति से कांग्रेस को बेचैन और हैरान-परेशान कर दिया है.

सुब्रह्मण्यम् स्वामी का जन्म 15 सितम्बर 1939 को चेन्नई में हुआ. वह जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं. वे एक सांसद के अतिरिक्त 1990-91 में वाणिज्य, विधि एवं न्याय मंत्री और बाद में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार आयोग के अध्यक्ष भी रहे. स्वामी के पिता सीताराम सुब्रमण्यम जाने माने गणितज्ञ थे. अपने पिता की तरह ही स्वामी में भी गणितज्ञ बनने की लालसा थी. इसके लिए उन्होंने हिंदू कॉलेज से गणित में स्नातक की डिग्री ली. इसके बाद से भारतीय सांख्यिकी इंस्टीच्यूट, कोलकाता पढ़ने गए.

स्वामी के जीवन का विद्रोही गुण पहली बार कोलकाता में देखने को मिला जब भारतीय सांख्यिकी इंस्टीच्यूट, कोलकाता के डायरेक्टर पीसी महालानोबिस थे, जो स्वामी के पिता के प्रतिद्वंद्वी माने जाते थे. बताया जाता है कि उन्होंने स्वामी को इस वजह से ख़राब ग्रेड देना शुरू किया. स्वामी ने 1963 में एक शोध पत्र लिखकर बताया कि महालानोबिस की सांख्यिकी गणना का तरीका मौलिक नहीं है. वह पुराने तरीके पर ही आधारित है.

स्वामी और राजनीति

1977 में जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में सुब्रह्मण्यम् स्वामी का नाम काफी अहम है. 1990 के बाद वे जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर रहे. 11 अगस्त, 2013 को उन्होंने अपनी पार्टी का विलय भारतीय जनता पार्टी में कर दिया और तत्काल वह राज्यसभा के सदस्य हैं. चंद्रशेखर के प्रधानमंत्रित्व काल में वाणिज्य एवं कानून मंत्री रहते हुए उन्होंने आर्थिक सुधारों में अहम भूमिका निभाई इतना ही नहीं नरसिम्हा राव सरकार के समय विपक्ष में होने के बावजूद स्वामी को कैबिनेट रैंक का दर्जा प्राप्त था.

इंदिरा गांधी से टक्कर

स्वामी ने मात्र 24 साल में हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल कर ली. उनकी प्रतिभा इस बात से सामने आती है कि 27 साल में वे हार्वर्ड में गणित पढ़ाने लगे थे. बाद में वे आईआईटी दिल्ली पहुंचे और वहां पढाने लगे हालांकि बाद में इंदिरा गांधी की नाराजगी के चलते उन्हें दिसंबर, 1972 में आईआईटी दिल्ली की नौकरी से हाथ धोना पड़ा. इसके ख़िलाफ़ उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया और 1991 में अदालत ने फ़ैसला स्वामी के पक्ष में सुनाया. इसके बाद वे एक दिन के लिए आईआईटी गए और इसके बाद अपना इस्तीफ़ा संस्थान को सौंप दिया.

वाजपेयी की सरकार पर गिरायी गाज

संसद में सोनिया गांधी को मुश्किल में डालने वाले स्वामी ने 1999 में वाजपेयी सरकार को गिराने में अहम भूमिका निभाई थी. इसके लिए उन्होंने सोनिया और जयललिता की मुलाक़ात भी कराई. जयललिता तात्कालिक सरकार के गठबंधन की बेहद अहम सहयोगी थीं और वो सुब्रमण्यम स्वामी को वित्त मंत्री बनाने पर अड़ गईं थीं. मार्च 1999 में स्वामी ने अपनी चर्चित चाय-पार्टी आयोजित की जिसमें उन्होंने सोनिया और जयललिता को आमने-सामने बिठा दिया और दोनों नेता क़रीब आ गईं.

मोदी को धमकी

भारत और फ्रांस के बीच हुई राफेल जेट की डील में भी सुब्रमण्यम स्वामी ने अडंगा डालने की कोशिश की थी. स्वामी ने मोदी सरकार को खुली धमकी देते हुए कहा था कि अगर भारत इस डील को करता है तो वह मोदी सरकार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेंगे. आपको बता दें कि उस वक्त भी स्वामी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य के पद पर थे. उन्होंने इस पद पर रहते हुए भी पीएम मोदी से अपील की थी कि वह फ्रांस से राफेल सौदा नहीं करें क्योंकि राफेल जेट बेहद की घटिया गुणवत्ता के हैं और इसकी गुणवत्ता की पोल लिबिया और मिस्र में खुल चुकी है साथ ही यह काफी महंगा भी है.

Next Article

Exit mobile version