राज्यसभा में झारखंड के दो चरवाहों को फांसी दिए जाने के मुद्दे पर जोरदार हंगामा

नयी दिल्ली : झारखंड में पिछले माह दो चरवाहों को कथित तौर पर फांसी दिए जाने के बाद वहां उत्पन्न अशांति को रोकने में सरकार पर नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए राज्यसभा में आज विपक्ष ने इस घटना की जांच करने के लिए संसदीय समिति गठित किए जाने की मांग की, हालांकि सरकार ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 29, 2016 4:06 PM

नयी दिल्ली : झारखंड में पिछले माह दो चरवाहों को कथित तौर पर फांसी दिए जाने के बाद वहां उत्पन्न अशांति को रोकने में सरकार पर नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए राज्यसभा में आज विपक्ष ने इस घटना की जांच करने के लिए संसदीय समिति गठित किए जाने की मांग की, हालांकि सरकार ने कहा कि वह राज्य सरकार से इस मुद्दे पर सही तथ्य पता करेगी. इस मुद्दे पर हुए हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को करीब पांच मिनट के लिए स्थगित करना पडा.

विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पिछले माह झारखंड में दो चरवाहों के शव पेड़ पर लटके पाए गए थे और इसके बाद वहां हिंसक घटनाएं भी हुइ’. लेकिन एक माह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद वहां हिंसा पर रोक लगाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए. आजाद के इतना कहते ही कांग्रेस, सपा, जदयू और माकपा के सदस्यों ने आसन के समक्ष आ कर हंगामा शुरु कर दिया. कुछ सदस्यों ने, तो झारखंड की भाजपा नीत सरकार को बर्खास्त करने की मांग भी की.
विवाद तब शुरु हुआ जब शून्यकाल में जदयू के सदस्य गुलाम रसूल बलयावी ने पिछले माह झारखंड के लातेहर जिले के एक गांव में अल्पसंख्यक समुदाय के दो व्यक्तियों को कथित फांसी दिए जाने का मुद्दा उठाया. बलयावी ने कहा कि पेड़ पर लटके शव पाए जाने के लगभग दो माह बीत जाने के बाद भी राज्य सरकार ने दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. राज्य सरकार पर हिंसा से अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में सक्षम न होने का आरोप लगाते हुए बलयावी ने कहा कि राज्य में अब तक अल्पसंख्यक समुदाय दहशत में है.
संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि वह इस घटना की सचाई का पता लगाने के लिए झारखंड सरकार से बात करेंगे. अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने सदन को यह आश्वासन देने का प्रयास किया कि वह राज्य के मुख्यमंत्री को एक पत्र लिख कर घटना के तथ्यों की जानकारी मांगेंगी.
आजाद ने कहा कि दो चरवाहों के शव पेड़ से लटकते पाए जाने के बाद उन्होंने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद दर्जनों बस्तियों में आग लगा दी गई और भीड़ ने लोगों पर हमला किया ‘‘फिर भी नकवी प्रामाणिकता के सत्यापन की बात कर रहे हैं…. यह शर्मनाक है.’ तब नकवी ने कहा कि यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि देश में शांति में कोई व्यवधान नहीं होना चाहिए.
सरकार के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस सदस्यों ने नारेबाजी शुरु कर दी और आरोप लगाया कि उसने कोई कार्रवाई नहीं की. माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि घटना हुए दो माह बीत गए और हेपतुल्ला कह रही हैं कि वह घटना के बारे में जानकारी लेंगी. उन्होंने कहा कि यह एक सांप्रदायिक मुद्दा है, राज्य की कानून व्यवस्था का विषय नहीं है इसलिए सदन को इसे गंभीरता से लेना चाहिए. येचुरी ने मांग की एक संसदीय समिति बनाई जानी चाहिए जो झारखंड के जिले में जा कर मामले की जांच करे.
जदयू के शरद यादव ने भी येचुरी की मांग का समर्थन किया और कहा कि हेपतुल्ला इसे ‘‘हल्के’ में ले रही हैं. नकवी ने इस मुद्दे पर अल्पकालिक चर्चा कराए जाने का प्रस्ताव दिया लेकिन विपक्षी सदस्यों ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि एक संसदीय समिति इस मामले की जांच करे. येचुरी ने कहा ‘‘यह एक गंभीर मामला है जो देश के सांप्रदायिक सौहार्द्र के ताने बाने को कमजोर करता है. बहस और चर्चा करने का समय बीत चुका है.
संसदीय समिति गठित करने का आदेश दीजिये .’ उपसभापति पी जे कुरियन ने आश्वासन दिया कि वह समिति बनाये जाने की मांग से सभापति को अवगत करायेंगे. इस बीच, आसन के समक्ष विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी था. सदन में व्यवस्था बनते न देख उप सभापति कुरियन ने करीब पांच मिनट के लिए बैठक स्थगित कर दी.

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