फाइनेंशियल मार्केट मैनेजमेंट तेजी से बढ़ेगा कैरियर ग्राफ

ब्रह्मानंद मिश्र घर खरीदना, प्रॉपर्टी के लिए निवेश करना, बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा की व्यवस्था करना, शादी के लिए प्लान करना या फिर भविष्य में रिटायरमेंट की पहले से ही तैयारी करना-इन सबके लिए जरूरत होती है पैसों की और साथ ही पैसों के सुव्यवस्थित प्रबंधन की. दरअसल, यह हर व्यक्ति से जुड़ा हुआ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 2, 2016 6:35 AM
ब्रह्मानंद मिश्र
घर खरीदना, प्रॉपर्टी के लिए निवेश करना, बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा की व्यवस्था करना, शादी के लिए प्लान करना या फिर भविष्य में रिटायरमेंट की पहले से ही तैयारी करना-इन सबके लिए जरूरत होती है पैसों की और साथ ही पैसों के सुव्यवस्थित प्रबंधन की. दरअसल, यह हर व्यक्ति से जुड़ा हुआ मसला है. इन सबके बीच आपको टैक्स, कानून, इंश्योंरेंस, इन्वेस्टमेंट जैसे तमाम बहुप्रचलित शब्दों से रू-ब-रू होना होता है. यह सब जानने के लिए जरूरी है कि सबसे पहले आप फाइनेंशियल मैनेजमेंट को समझें और फिर फाइनेंशियल मार्केट मैनेजमेंट के क्रिया-कलापों को.
जब आप अपने बिजनेस/ संस्थान या खुद के निर्धारित वित्तीय उद्देश्यों को पूरा करने के लिए प्रबंधन का सहारा लेते हैं, तो उसे वित्तीय प्रबंधन (फाइनेंशियल मैनेजमेंट) कहा जाता है. फाइनेंशियल मैनेजमेंट एक स्पेशलाइजेशन प्रोग्राम है, जहां आप फाइनेंशियल कंसल्टेंट, या पर्सनल फाइनेंशियल एडवाइजर या फाइनेंशियल स्पेशलिस्ट (सिक्योरिटीज एनालिस्ट, रिसर्च एनालिस्ट, इक्विटी एनालिस्ट या इन्वेस्टमेंट एनालिस्ट आदि.) के तौर पर एक प्रोफेशनल कैरियर को चुनते हैं.
अपार संभावनाओं से भरा क्षेत्र
इस क्षेत्र की संभावनाओं का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि एक ओर जहां उच्च शिक्षा के स्तर पर आइआइएम और एनआइएफएम जैसे देश भर के कई प्रतिष्ठित संस्थान और विश्वविद्यालय फाइनेंशियल मैनेजमेंट से जुड़े स्पेशलाइल्ड प्रोग्राम उपलब्ध कराते हैं, वहीं सरकार भी स्कूल स्तर पर इस पाठ्यक्रमों को छात्रों के बीच पहुंच रही है. मौजूदा शैक्षणिक सत्र-2016-17 में कक्षा नौवीं और दसवीं में फाइनेंशियल मार्केट मैनेजमेंट (एफएमएम) कोर्स को सीबीएसइ और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसइ) द्वारा संयुक्त रूप से लांच किया गया है. इससे पहले 2007 में सीबीएसइ और एनएसइ द्वारा संयुक्त रूप से इस कोर्स को 11वीं और 12वीं कक्षा के लिए लांच किया गया था.
म्यूचुअल फंड (इक्विटी फंड, डेट-इक्विटी फंड आदि), बैंकिंग (इन्वेस्टमेंट, प्राइवेट बैंकिंग, कॉमर्शियल), इंश्योरेंस (विभिन्न इंश्योरेंस पॉलिसीज), इन्वेस्टमेंट बैंकिंग, कैपिटल मार्केट, बॉन्ड, कमोडिटी (ट्रेडिंग, सेलिंग, बाइंग, फ्यूचर ट्रेडिंग), इक्टिविटी (डिपोजिटरी सर्विसेज, रिसर्च, ऑनलाइन ट्रेडिंग).

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