देहरादून : केंद्र के परमाणु ऊर्जा के कार्यक्रम को विस्तार देने के लिये देहरादून का चयन किये जाने का दावा करते हुए गैर सरकारी संगठन- रुरल लिटिगेशन एंड एनटाइटलमेंट सेंटर (रुलक) ने आज कहा कि उत्तराखंड जैसे अत्यंत संवेदनशील स्थान पर परमाणु संयंत्र लगाना एक बहुत बडी गलती साबित हो सकता है जिसे रोकने के लिये सडक से लेकर अदालत तक लडाई लडी जायेगी. देहरादून स्थित रुलक के अध्यक्ष पद्मश्री अवधेश कौशल ने यहां कहा कि जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार देहरादून में परमाणु संयंत्र लगाने की योजना बना रही है जो उत्तराखंड जैसे सक्रिय भूकंप क्षेत्र के लिये बहुत बडी गलती साबित हो सकता है.
कौशल ने कहा, ‘परमाणु संयंत्र के लिए आवश्यक है कि उसमें बन रही गर्मी को शांत करने के लिए पास ही जलाशय अथवा नदी हो. ऐसे में परमाणु विकिरण जल को भी क्षति पहुँचाते हैं और नदी का जल स्तर तथा उसके तापमान में भी बदलाव आता है. गंगा, यमुना और अन्य नदियाँ ऐसी सूरत में स्रोत से ही परमाणु विकिरणों से दूषित हो जायेंगीं.’ उन्होंने कहा कि देहरादून घाटी वैसे भी प्याले के आकार की है और यहां पैदा होने वाला प्रदूषण वहीं रह जाता है.
कौशल ने इस संबंध में याद दिलाया कि रुलक ने मसूरी डायवर्जन के पास स्थित प्रदूषणकारी तीन कारखानों, यूपी कारबाइड एंड केमिकल्स, आत्माराम चड्डा सीमेंट फैक्टरी तथा आदित्य बिडला केमिकल फैक्टरी के खिलाफ सफलतापूर्वक कानूनी लडाई लडी और इन्हें बंद करवा दिया था.
उन्होंने कहा कि केवल अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, रूस आदि बडे देशों को खुश करने के लिये उनसे बिना सोचे समझे यूरेनियम एवं मशीनें खरीदना एक भयंकर भूल है जिसके लिये अगर जरुरत पडी तो सडक से लेकर अदालत तक लडाई लडी जायेगी. कौशल ने कहा कि ‘हम यह लडाई सडकों पर धरना प्रदर्शन आदि से लेकर अदालत तक में लडेंगे परन्तु देहरादून का भोपाल जैसा भविष्य नही बनने देगें.’
उन्होंने कहा कि बिजली की कमी पूरी करने के लिये देहरादून में परमाणु संयंत्र लगाने के बजाय सरकार को नर्मदा बांध की तरह टिहरी बांध की ऊंचाई बढा देनी चाहिये.