नयी दिल्ली : उत्तराखंड के बडे वन क्षेत्र में आग लगने की घटना पर लोकसभा में सदस्यों की चिंता के बीच सरकार ने आज कहा कि आग को काबू में करने के लिए केंद्र और राज्य प्रशासन के स्तर पर त्वरित कार्रवाई की गयी है और स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है. लोकसभा में शून्यकाल के दौरान इस विषय को उठाए जाने पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘उत्तराखंड में जंगलों में आग लगने की घटना सामने आने के बाद जो भी हो सका है, त्वरित कार्रवाई की गयी है. स्थानीय प्रशासन और गृह मंत्रालय ने कार्रवाई की है. स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है.’
गृह मंत्री ने कहा कि एनडीआरएफ की तीन टीमों को भेजा गया है, वायु सेना के हेलीकाप्टरों को लगाया गया है. इसके साथ ही घटनास्थल पर विशेषज्ञ टीमें भेजी गयी हैं जिन्हें ऐसे मामलों में कुशलता हासिल है. राजनाथ सिंह ने कहा, ‘कल रात को जानकारी मिली कि स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है.’ उन्होंने कहा कि आग लगने के बाद जिन लोगों की मौत हुई है, उनके बारे में स्थानीय प्रशासन का कहना है कि वह अभी यह नहीं कह सकते हैं कि इनकी मौत आग लगने के कारण ही हुई है.
इससे पहले, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने इस विषय को उठाते हुए कहा कि गंभीर पारिस्थितिकी आपदा उत्तराखंड में सामने आई है और इस प्रदेश में जहां कोई चुनी हुई सरकार अभी नहीं है, वहां पर जंगलों में गंभीर आग लगी है जो बडे क्षेत्र में फैल गयी है. यह हिमाचल प्रदेश की ओर भी बढ रही है. कार्बेट पार्क की ओर भी बढ गयी है और इससे राजाजी नेशनल पार्क पर भी खतरा है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने एनडीआरएफ को भेजा है और हेलीकाप्टरों को भी लगाया गया है.
सौगत राय ने कहा कि धुंआ गहरा होने के कारण हेलीकाप्टर से आग बुझाने के काम में बाधा आ रही है. गृह मंत्री ने उत्तराखंड के अधिकारियों के साथ बैठक की है लेकिन इस विषय पर अधिक पहल किये जाने की जरुरत है. भाजपा के रमेश पोखरियाल निशंक ने इस विषय को उठाते हुए कहा कि उत्तराखंड के जंगलों में आग लगी है.
गृह मंत्री ने इस बारे में बैठक की है. वन मंत्री भी पहल कर रहे हैं. आग लगने के कारण आधा दर्जन से अधिक लोगों की मौत हुई है और काफी संख्या में पशु पक्षी भी मारे गये हैं. उन्होंने कहा कि आग लगने से तापमान बढ रहा है. इसके कारण ग्लेशियर सिकुड रहे हैं. मूल्यवान जडी बूटी नष्ट हो रही है. निशंक ने कहा कि इस स्थिति को देखते हुए हिमनद प्राधिकारण का गठन किया जाए. 11 हजार वन पंचायतों को तत्काल प्रशिक्षित करने की पहल की जाए और इस विषय पर क्षेत्र में पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित की जाए तथा इन्हें रडार से जोडा जाए.