एक और पूर्व न्यायाधीश पर लगा यौन उत्पीड़न का आरोप,कार्रवाई की मांग
नयी दिल्ली : एक महिला इंटर्न ने उच्चतम न्यायालय के एक और पूर्व न्यायाधीश पर यौन उत्पीडन का आरोप लगाया जिससे नया विवाद पैदा हो गया है. पीड़ित ने शीर्ष अदालत द्वारा पूर्व न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. टीवी चैनलों ने आज देर रात उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के बारे में […]
नयी दिल्ली : एक महिला इंटर्न ने उच्चतम न्यायालय के एक और पूर्व न्यायाधीश पर यौन उत्पीडन का आरोप लगाया जिससे नया विवाद पैदा हो गया है. पीड़ित ने शीर्ष अदालत द्वारा पूर्व न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
टीवी चैनलों ने आज देर रात उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के बारे में बताया कि वह फिलहाल एक न्यायाधिकरण के प्रमुख हैं. यौन उत्पीडन की यह कथित घटना मई 2011 में उनके कार्यालय में उस समय हुई जब वह उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश थे. इस पूर्व न्यायाधीश की कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी क्योंकि बताया गया कि वह अपने आवास पर नहीं हैं.
अतिरिक्त सालिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह ने न्यायाधीश के नाम की पुष्टि की और कहा कि उसने (इंटर्न) मुझमें विश्वास जताया है. उसने मुझसे साझा किया. मैं (न्यायाधीश के नाम के बारे में) पुष्टि कर सकती हूं. इसलिए मैं पुष्टि कर सकती हूं कि उसका नाम हलफनामे में लिया गया है. उन्होंने कहा कि जहां तक आरोपों की सच्चाई की बात है, यह फैसला उच्चतम न्यायालय को करना है, मुझे नहीं.
वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि उन्होंने इंटर्न की शिकायत देखी है और उनका मानना है कि यह शिकायत बहुत परेशान करने वाली है क्योंकि यह एक न्यायाधीश के सेवानिवृत्ति से पहले के दिनों के चरित्र से जुड़ा है.
मई 2011 में इस न्यायाधीश के साथ आधिकारिक रुप से इंटर्नशिप करने वाली महिला ने हाल में उच्चतम न्यायालय में हलफनामे के साथ एक शिकायत दायर करके उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी.
हालांकि न्यायालय ने न्यायमूर्ति एके गांगुली के मामले में पांच दिसंबर 2013 के प्रस्ताव का हवाला देते हुए इस विषय पर गौर करने से इंकार कर दिया था. न्यायाधीशों की बैठक में स्पष्ट किया गया था कि इस न्यायालय के पूर्व न्यायाधीशों के खिलाफ पेश आवेदन उच्चतम न्यायालय के प्रशासन द्वारा स्वीकार्य योग्य नहीं हैं.
न्यायालय के सूत्रों ने पुष्टि की कि इंटर्न से कहा गया है कि न्यायाधीशों की बैठक में हुए फैसले को देखते हुए उसके आवेदन को स्वीकार नहीं किया जा सकता और उसे कानून के तहत उचित उपचार हासिल करने की पूरी आजादी है.
खबरों में कहा गया कि पहली पीड़ित की तरह यह इंटर्न भी कोलकाता के पश्चिम बंगाल न्यायिक विज्ञान राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा है. कहा जा रहा है कि अब वह उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा बैठक में किये गये फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती देने पर विचार कर रही है.
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एके गांगुली के खिलाफ इसी तरह के एक मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर अभियान का नेतृत्व करने वाली अतिरिक्त सालिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह दूसरी इंटर्न के भी समर्थन में सामने आई हैं. उन्होंने कहा कि मेरा स्पष्ट मत है कि कार्रवाई होनी चाहिए और आरोपी तत्कालीन न्यायाधीश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय द्वारा जांच की जानी चाहिए.