नयी दिल्ली : न्यायाधीशों के रिक्त पदों को शीघ्र भरने की मांग करते हुए राज्यसभा में आज सदस्यों ने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों की बढती संख्या को देखते हुए यह अत्यंत जरुरी है. शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस के पी एल पुनिया ने कहा कि देश की आबादी के अनुपात में न्यायाधीशों की संख्या बहुत ही कम है. उन्होंने कहा कि प्रति दस लाख की आबादी पर 50 न्यायाधीशों की जरुरत है लेकिन देश में प्रति दस लाख की आबादी पर मात्र 17 न्यायाधीश ही हैं. यही वजह है कि न्यायाधीशों की कमी न केवल त्वरित न्याय की राह में आडे आती है बल्कि खुद न्यायाधीश भी एक मामले में दो मिनट से 15 मिनट का समय दे पाते हैं.
उन्होंने कहा कि देश भर की अदालतों में फिलहाल करीब तीन करोड सात लाख मामले लंबित हैं और इनकी संख्या बढती जा रही है. वहीं दूसरी ओर सुनवाई में लंबा समय लगने के कारण न्याय अर्थहीन हो जाता है. पुनिया ने न्यायाधीशों की नियुक्ति की वर्तमान कोलेजियम प्रणाली को बंद करने की मांग करते हुए कहा कि इसकी जगह नियुक्ति की एक पारदर्शी व्यवस्था अपनाई जानी चाहिए और रिक्त पदों को यथाशीघ्र भरा जाना चाहिए. उन्होंने ‘अखिल भारतीय न्यायिक सेवा’ के गठन की तथा न्यायिक नियुक्तियों में हर स्तर पर अनुसूचित जाति, जनजाति तथा अन्य पिछडा वर्ग के लोगों को आरक्षण दिए जाने की मांग की. पुनिया ने कहा, ‘‘अगर ऐसा होता है तो भारत के प्रधान न्यायाधीश को प्रधानमंत्री के समक्ष रोना नहीं पडेगा.”
गौरतलब है कि हाल ही में भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायपालिका में रिक्त पदों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने कथित तौर पर रो पडे थे. शून्यकाल में ही जदयू के शरद यादव ने कहा कि उच्च न्यायालयों में 40 लाख मामले और उच्चतम न्यायालय में 62 हजार मामले लंबित हैं. आखिर इनकी सुनवाई कब होगी. उन्होंने कहा कि आम आदमी को निचली अदालतों में ही जा पाता है और उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय उसकी पहुंच से बहुत दूर हैं. जाहिर है कि निचली अदालतों में लंबित मामलों की संख्या और अधिक है. यादव ने कहा कि न्यायपालिका में न्यायाधीशों के पद बडी संख्या में रिक्त हैं और उनकी नियुक्ति संबंधी 169 प्रस्ताव विचार के लिए सरकार के समक्ष भी लंबित हैं. उन्होंने कहा ‘‘सरकार बताए कि वह इस संबंध में क्या कर रही है.” माकपा के सीताराम येचुरी ने जानना चाहा कि राष्ट्रीय न्यायिक आयोग का गठन कब तक किया जाएगा और सरकार की इस संबंध में क्या योजना है.
इस पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि देश की अदालतों में लंबित मामलों की संख्या में वृद्धि और न्यायाधीशों की कमी को लेकर सदस्यों की चिंता जायज है और वह संबद्ध मंत्री को इससे अवगत कराएंगे.