नयी दिल्ली : अगस्ता वेस्टलैंड सौदा मुद्दे पर राज्यसभा में भाजपा के सुब्रह्मण्यम स्वामी और कांग्रेस सदस्यों के मध्य जारी तकरार के बीच, उप सभापति पी जे कुरियन ने आज कहा कि इस मुद्दे पर अपने बयान के पक्ष में, हाल ही में मनोनीत स्वामी ने जो दस्तावेज सदन के पटल पर रखे थे, उन्हें आसन ने न तो प्रमाणित किया है और न ही मंजूरी दी है.
कुरियन ने यह व्यवस्था कांग्रेस के जयराम रमेश द्वारा यह मुद्दा उठाए जाने पर दी. उच्च सदन की बैठक शुरु होने पर रमेश ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि स्वामी ने अपने ट्विटर हैंडल पर कहा है कि राज्यसभा ने उनके उन दस्तावेजों को मंजूरी दे दी जिन्हें उन्होंने अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदा मुद्दे पर अल्पकालिक चर्चा के दौरान सदन के पटल पर रखा और जिनके आधार पर उन्होंने आरोप लगाए थे.
कुरियन ने कहा ‘‘इसे (स्वामी के दस्तावेजों को) किसी ने भी प्रमाणित नहीं किया, न सभापति ने और न ही मैंने.” उप सभापति ने कहा कि दस्तावेजों को प्रमाणित करने की जिम्मेदारी सदस्य की होती है और वही इसके लिए जिम्मेदार होता है. ‘‘आसन की ऐसी कोई जिम्मेदारी नहीं होती. आसन ने कोई दस्तावेज प्रमाणित नहीं किये” कुरियन ने यह भी कहा कि उन्होंने किसी भी चीज की मंजूरी नहीं दी है.
इससे पहले रमेश ने छह मई के राज्यसभा बुलेटिन का हवाला देते हुए कहा था कि आसन ने चर्चा के दौरान स्वामी को उन तीन दस्तावेजों की प्रतियां सदन के पटल पर रखने की अनुमति दी थी जिनका मनोनीत सदस्य ने हवाला देने का दावा किया था.
रमेश ने यह भी कहा कि अगले ही दिन स्वामी ने ट्वीट किया ‘‘राज्यसभा ने मेरे दस्तावेजों को मंजूरी दे दी. अब जयराम रमेश बचाव की मुद्रा में हैं.”कांग्रेस सदस्य रमेश ने जानना चाहा कि क्या राज्यसभा ने स्वामी द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों को मंजूरी दे दी है. उन्होंने आरोप लगाया कि स्वामी की सच बोलने की आदत नहीं है.
उन्होंने कहा ‘‘बुलेटिन के अनुसार, स्वामी द्वारा प्रमाणित दस्तावेज सदन के पटल पर रखे गए (और अब) वह दस्तावेज जांच के लिए उपलब्ध हैं.” रमेश ने सवाल किया कि क्या राज्यसभा ने उनके दस्तावेज मंजूर किए हैं. उन्होंने कहा ‘‘अगर नहीं, तो मैं माननीय सदस्य से मांग करता हूं कि वह माफी मांगे.” इसके तत्काल बाद उन्होंने कहा कि वह उन्हें (स्वामी को) माननीय नहीं कहेंगे.
उन्होंने फिर कहा कि स्वामी को माफी मांगनी चाहिए। स्वामी ने अपने बारे में रमेश की झूठ बोलने की आदत संबंधी टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि सदन के पटल पर दस्तावेज रखने की अनुमति देने के आसन के अधिकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं.