नयीदिल्ली : ब्रिटेन ने भारत के उस आग्रह को ठुकरा दिया है, जिसमें मांग की गयी थी किविजयमाल्या कोअपनेदेश से बाहरनिकालदे, ताकिपासपोर्ट रद्द हो जाने के कारणउनकाभारत आना सुनिश्चित हो जायेऔर उन परतीव्रकार्रवाई की जा सके.ब्रिटेनने भारत को विजय माल्या का प्रत्यर्पण करने की पेशकश की है. हालांकि, प्रत्यर्पण की प्रक्रिया काफी लंबी व जटिल होने के कारण भारत चाहता था कि ब्रिटेन माल्या को देशसेनिर्वासितकर दे, लेकिन ब्रिटेन ने ऐसा नहीं करने के पीछे अपने देश के कानूनों को कारण बताया है. ऐसे में अब बड़ा सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि क्या हिंदुस्तानियों का 9400 करोड़ रुपये आसानी से उन्हें वापस मिल सकेगा?
अबतक के उदाहरण तो यह संकेत देते हैं कि यह बेहद मुश्किल है. एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन के पास फिलहाल भारत के 131 प्रत्यर्पण आग्रह लंबित हैं, जिनमें भारत के वांछित अपराधी भी शामिल हैं. इन अपराधियों के प्रत्यर्पण में भारत को आ रही दिक्कतों के बाद हाइप्रोफाइल उद्योगपति विजय माल्या के प्रत्यर्पण में आने वाली मुश्किलों को अंदाजा है, जिनके पास दो दशक से अधिक समय से ब्रिटेन की नागरिकता भी है. माल्या को ब्रिटेन के लचीले कानून की समझ है, तभी फिनांशियल टाइम्स को दिये इंटरव्यू मेंउन्होंने कहा था कि मुझे गिरफ्तार कर उन्हें भारतीय बैंकों को एक पैसा नहीं मिलेगा.
माल्या पर आइडीबीआइ बैंक से लिये पैसे का मनी लाउंड्रिंग करने का मामला भी चल रहा है. भारतीय एजेंसियों द्वारा माल्या के खिलाफ शुरुआत में धीमी जांच करने पर भी उंगली उठ रही है.
माल्या ने भारत के 17 बैंकों का 9400 करोड़ रुपयेउधार ले रखा है. माल्या ने ब्रिटेन में बैठ कर ट्विटर के जरिये या अन्य माध्यमों से भारतीय मीडियापर निशाना भी साधा था. यहां तककि सुप्रीम कोर्ट में भी भारतीय मीडिया द्वारा इसे मुद्दा बनाने की बात उठायी थी, जिस पर शीर्ष अदालत ने कहा था कि मीडिया जनमुद्दे को ही उठा रहा है.
क्या कहा है ब्रिटेन ने?
ब्रिटेन ने कहा है कि वह धन शोधन के आरोपों का सामना कर रहे विजय माल्या को निर्वासित नहीं कर सकता, लेकिन उन्हें प्रत्यर्पित करने के आग्रह पर विचार कर सकता है.
ब्रिटेन सरकार का जवाब भारत द्वारा उनके निर्वासन के लिए आग्रह किए जाने के लगभग एक पखवाड़े बाद आया है. धन शोधन रोकथाम कानून 2002 के तहत जांच में उनकी मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए भारत ने उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया था.
माल्या के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया था.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ताविकासस्वरूप ने कहा, ‘‘ब्रिटेन सरकार ने हमें सूचित किया है कि 1971 के आव्रजन कानून के तहत यदि किसी व्यक्ति के पास ब्रिटेन में प्रवेश करते समय वैध पासपोर्ट हो तो ब्रिटेन को इस बात की आवश्यकता नहीं है कि देश में उसके रहने के दौरान भी उसके पास वैध पासपोर्ट हो.’ उन्होंने कहा, ‘‘साथ ही, ब्रिटेन ने आरोपों की गंभीरता को माना और भारत सरकार की मदद करने की इच्छा दिखायी. उन्होंने भारत सरकार से कहा है कि वे पारस्परिक कानूनी सहायता या प्रत्यर्पण के आग्रह पर विचार कर सकते हैं.’
प्रत्यर्पण भारत और ब्रिटेन के बीच 1993 की संधि या 1992 में हस्ताक्षरित पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (एमएलटीए) के तहत आवश्यक किसी अन्य सहायता के अंतर्गत हो सकता है.
हालांकि, भारत चाहता था कि 9,400 करोड़ रुपये के बैंकऋण डिफॉल्ट के आरोपों का सामना कर रहे शराब कारोबारी को निर्वासन के त्वरित मार्ग से वापस लाया जाए, न कि प्रत्यर्पण की लंबी प्रक्रिया के जरिए.