22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सूखे जैसी स्थिति से निपटने के लिए ”आपदा राहत कोष” बनाये केंद्र : सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सूखे जैसी स्थिति से निपटने के लिए आज केंद्र को आपदा राहत कोष बनाने के लिए कहा है. साथ ही कृषि मंत्रालय को आदेश दिया कि स्थिति का आकलन करने के लिए बिहार, गुजरात और हरियाणा जैसे प्रभावित राज्यों के साथ एक सप्ताह के अंदर एक बैठक करे. न्यायमूर्ति […]

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सूखे जैसी स्थिति से निपटने के लिए आज केंद्र को आपदा राहत कोष बनाने के लिए कहा है. साथ ही कृषि मंत्रालय को आदेश दिया कि स्थिति का आकलन करने के लिए बिहार, गुजरात और हरियाणा जैसे प्रभावित राज्यों के साथ एक सप्ताह के अंदर एक बैठक करे.

न्यायमूर्ति एम बी लोकुर की अगुवाई वाली पीठ ने केंद्र को आदेश दिया कि वह आपदा प्रबंधन कानून के प्रावधानों का कार्यान्वयन करे और वैज्ञानिक आधारों पर सूखे की घोषणा करने के लिए एक समय सीमा तय करे.साथ ही न्यायालय ने आपदा से प्रभावित किसानों को कारगर राहत देने के लिए केंद्र को सूखा प्रबंधन नियमावली की समीक्षा करने और संकट से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय योजना बनाने के लिए भी कहा.

पीठ में न्यायमूर्ति एन वी रामना शामिल हैं. पीठ ने कहा ‘‘कृषि मंत्रालय को स्थिति का आकलन करने के लिए सूखा प्रभावित बिहार, गुजरात और हरियाणा के मुख्य सचिवों के साथ एक सप्ताह के अंदर एक बैठक करने का आदेश दिया जाता है.’ इसके अलावा न्यायालय ने आदेश दिया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल को सूखे जैसी स्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए तथा उपकरण दिए जाने चाहिए.

अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल पी एस नरसिम्हा ने 26 अप्रैल को पीठ को बताया था कि केंद्र सूखा प्रभावित इलाकों में हालात पर नजर रखे हुए है और राज्य प्राकृतिक आपदा से प्रभावित इन इलाकों में किसानों को हरसंभव राहत मुहैया कराने के लिए कडी मेहनत कर रहे हैं.

पूर्व में, उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से सवाल किया था कि क्या राज्यों को यह चेतावनी देने की जिम्मेदारी उसकी (राज्य की) नहीं है कि निकट भविष्य में सूखे जैसे हालात उत्पन्न हो सकते हैं. प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों को कम मुआवजे पर न्यायालय ने चिंता जताई और कहा कि इसके चलते कुछ किसानों ने आत्महत्या की.

याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन स्वराज अभियान ने समीक्षा के बाद दाखिल अपने आग्रह में केंद्र को मनरेगा कानून के प्रावधानों से संबद्ध एक आदेश देने तथा सूखा प्रभावित इलाकों में रोजगार सृजन के लिए इसका उपयोग किये जाने का अनुरोध किया था. गैर सरकारी संगठन द्वारा दाखिल जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि 12 राज्यों उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, झारखंड, बिहार, हरियाणा और छत्तीसगढ के कई हिस्से सूखे से प्रभावित हैं और प्राधिकारी पर्याप्त राहत नहीं मुहैया करा रहे हैं.

नवंबर 2015 में उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के डोर-टू-डोर सर्वे किया गया. इस दौरान स्वराज अभियान ने डाटा इकट्टठा किया. फूड-वाटर शोर्टेज और अकाल के समस्याओं के बारे में लोगों से बात की.इस आपदा की भयावहता और राजनीतिक-प्रशासनिक मशीनरी की अनदेखी को देखते हुए दिसंबर 2015 में स्वराज अभियान ने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल फाइल किया था. राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गयी थी.
पीआइएल में कहा गया है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार को सूखा प्रभावित इलाकों में छह महीने तक लोगों को फूड सिक्योरिटी सुनिश्चित करना चाहिए. जिन परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं है. उन्हें अस्थायी राशन कार्ड प्रदान करना चाहिए.
सूखा प्रभावित इलाकों में प्रत्येक घरों को 30 रूपये प्रति किलों के हिसाब से 2 किलोग्राम दाल और 25 रुपये की कीमत पर एक लीटर तेल उपलब्ध करवाया जाये. सूखा प्रभावित इलाके में मिड डे मिल में एक अंडे या 200 ग्राम दूध बच्चों को दिया जाये. मनरेगा को इन इलाकों में कड़ाई से लागू किया जाये.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें