अबतक लगभग 3471 ऋद्धालुओं के परिजनों को मृत्यू प्रमाणपत्र

देहरादून: उत्तराखंड के राज्यपाल अजीज कुरैशी ने आज कहा कि गत वर्ष जून में आयी भीषण प्राकृतिक आपदा में लगभग 4009 श्रद्घालु लापता हो गये थे जिनमें से 3471 के परिजन को अब तक मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के साथ ही अनुमन्य राहत राशि का भी भुगतान किया जा चुका है. यहां विधानसभा के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 13, 2014 2:57 PM

देहरादून: उत्तराखंड के राज्यपाल अजीज कुरैशी ने आज कहा कि गत वर्ष जून में आयी भीषण प्राकृतिक आपदा में लगभग 4009 श्रद्घालु लापता हो गये थे जिनमें से 3471 के परिजन को अब तक मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के साथ ही अनुमन्य राहत राशि का भी भुगतान किया जा चुका है. यहां विधानसभा के तीन दिवसीय विशेष सत्र के पहले दिन दिये अपने अभिभाषण में कुरैशी ने कहा कि पिछले साल जून के द्वितीय पक्ष से सितंबर के द्वितीय पक्ष तक राज्य में प्राकृतिक आपदा के विभिन्न चरणों में न केवल जन-धन की व्यापक हानि हुई बल्कि विषम बदरी-केदार क्षेत्र तथा विभिन्न नदियों के अंतरप्रवाह क्षेत्र में भीषण प्राकृतिक आपदा की परिस्थितियां पैदा हुईं.

विभीषिका का विस्तार लगभग 40 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में होने को चुनौतीपूर्ण बताते हुए कुरैशी ने उत्तराखंड सरकार और प्रशासन द्वारा किये गये बचाव और राहत के प्रयासों को इतिहास का विरलतम उदाहरण बताया तथा कहा कि केदारनाथ धाम और उसके यात्रा मार्गो पर इतने कम समय में करीब डेढ़ लाख लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना और स्थानीय आबादी के लिये आवास आदि की व्यवस्था करना इतिहास का सबसे बड़ा प्रयोग और प्रयास है जिसकी विश्व इतिहास में कहीं भी अन्यत्र बानगी दुर्लभ है. प्रदेश सरकार की प्रशंसा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि उसने आपदा पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिये अनुमन्य मानकों से कहीं आगे बढ़कर सहायता उपलब्ध करायी.

उन्होंने कहा, ‘‘इस भीषण आपदा में लगभग 4009 श्रद्घालु लापता हो गये थे. मेरी सरकार ने अभियान चलाकर एवं विशिष्ट अभिहित अधिकारियों की नियुक्ति कर उनमें से 3471 के परिवारजन को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किये हैं. इसके साथ ही उन्हें अनुमन्य राहत राशि का भी भुगतान किया जा चुका है. कुरैशी ने कहा कि भविष्य में संभावित दैवीय आपदाओं से होने वाली क्षति को न्यूनतम करने के लिये भी राज्य सरकार कई प्रभावी कदम उठा रही है, जिनमें राष्ट्रीय आपदा रिस्पांस फोर्स की एक बटालियन हरिद्वार में स्थापित करने की कार्रवाई शुरु करना, राज्य स्तर पर आपदा प्रबंधन योजना के प्रारुप को अंतिम रुप देना, राज्य की अपने राज्य आपदा रिस्पांस फोर्स के गठन की कार्रवाई प्रारंभ करना शामिल है.

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