उज्जैन : सिंहस्थ महाकुंभ में शामिल होने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उज्जैन पहुंचे हैं. उनके साथ श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेनाभी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान सिंंहस्थ महाकुंभ का घोषणा पत्र जारी किया. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि कुंभ इस बात के आकलन का अवसर था कि इतने सालों में समाज कहां पहुंचा और अागे समाज को कहां ले जाना है. प्रधानमंत्री ने कहा कि चाहे एक मजदूर अपना पसीना बहा रहा हो या संत अपनी तमस्या कर रहा हो अगर ये सारी शक्तियां एक दिशा में चल पड़े व सोचे कि किस प्रकारकी विचार प्रवाह समयानुकूल हो सकती है तो यह सार्थक होगा.
हम उस संस्कार सरिता से निकले हुए लोग हैं जहां एक भिक्षुक भीक्षा मांगने जाता है तो कहता है कि जो दे उसका भी भला, जो न दे उसका भी भला हो. हम सबके कल्याण के लिए सोचने वाले लोग हैं. हम इतनी महान परंपरा को खो तो नहीं दे रहे हैं, लेकिन विचार करते हैं तो लगता है कि नहीं हमारे अंदर यह सामर्थ्य भरा हुआ है.
लाल बहादुर शास्त्रीजी ने कभी लोगों से आग्रह किया था कि एक समय खाना छोड़ दें, देश को अनाज की जरूरत है, देश के लोगों ने ऐसा किया. अभी भी शास्त्री जी की परंपरा के लोग हैं, जो सप्ताह में एक दिन भोजन नहीं ग्रहण करते हैं.
मैंने लोगों से आग्रह किया था कि आप संपन्न हैं तो रसोई गैस सब्सिडी छोड़ दें. मैं सिर झुका कर कहना चाहता हूं कि एक करोड़ से ज्यादा परिवारों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी. अगर एक करोड़ परिवार गैस सब्सिडी छोड़ रहेहैं तो यह पैसा सरकार की तिजौरी में नहीं वापस गरीब की झोली में ही जाना चाहिए. हमने उस पैसे से गरीबों को तीन साल में पांच करोड़ गैस सिलिंडर बांटने का निर्णय लिया है. यह पर्यावरण से जुड़ा विषय है.इससे कार्बनउत्सर्जन कम होगाऔर पर्यावरण भी बचेगा.