7th Pay Commission Updates: केंद्र सरकार ने लाखों पेंशनरों और फैमिली पेंशनरों को नए साल पर बड़ा तोहफा दिया है. इन पेंशनरों को इलाज के लिए Fixed Medical Allowance (FMA) देने का ऐलान हुआ है. इससे पेंशनरों को रोजमर्रा के इलाज में आने वाले खर्चों में मदद मिलेगी. ये भत्ता उन स्थानों पर रहने वाले पेंशनरों को मिलेगा, जो सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (CGHS) और न ही किसी दूसरी हेल्थ स्कीम के अंतर्गत आता है. भत्ते को पेंशन के साथ ही दिया जाएगा.
केंद्र सरकार के पर्सनल डिपार्टमेंट के डायरेक्टर रविंदर कुमार के आदेश के मुताबिक FMA नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के तहत रिटायर हुए कर्मचारियों को मिलेगा. बैंक या पेंशन विभाग Pension के साथ नियत चिकित्सा भत्ता देगा.
कितना मिलता है भत्ता
केंद्र सरकार ने मई 2014 में कुटुंब पेशनभोगियों का नियत चिकित्सा भत्ता (FMA) 100 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये कर दिया था. वहीं रक्षा विभाग के पेंशनभोगियों को 500 रुपये FMA मिलता था, जिसे अगस्त 2017 में बढ़ाकर 1000 रुपये कर दिया गया.
क्या शर्त लगाई सरकार ने
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एनपीएस के तहत रिटायर कर्मचारी ने 10 साल तक नौकरी की हो.
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अगर मृत्यु या दुर्घटना के अपंगता होती है तो नौकरी के साल नहीं देखे जाएंगे.
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जिन पेंशनरों को FMA मिल रहा है वे हर साल नवंबर में डिजिटल या फिजिकल लाइफ सर्टिफिकेट देंगे.
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चिकित्सा भत्ता पेंशनर के नवंबर में लाइफ सर्टिफिकेट जमा करने के बाद जनवरी से मिलने लगेगा.
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अगर पेंशनर या फैमिली पेंशनर की मृत्यु हो जाती है तो परिवार के सदस्य डेथ सर्टिफिकेट के साथ बैंक या पेंशन ऑफिस को सूचना देंगे.
बैंक कैसे करेंगे पेमेंट
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बैंक तीन महीने का भत्ता मार्च के पहले हफ्ते में देंगे. ये भत्ता दिसंबर से फरवरी तक का होगा.
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मार्च से मई तक के चिकित्सा भत्ते का भुगतान जून में होगा.
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वहीं जून से अगस्त तक के भत्ते का भुगतान सितंबर में होगा.
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सितंबर से नवंबर के भत्ते का पेमेंट दिसंबर के पहले हफ्ते में होगा.
क्या होता है नियत चिकित्सा भत्ता
नियत चिकित्सा भत्ता (FMA) उन पेंशनरों को मिलता है, जो सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ सर्विस स्कीम के दायरे वाले क्षेत्र से बाहर रहते हैं. यानी वहां CGHS सर्विस के तहत आने वाले अस्पताल या नर्सिंग होम नहीं हैं.
सरकार क्यों देती है यह भत्ता
केंद्र सरकार रोजमर्रा के इलाज के लिए अपने कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद नियत चिकित्सा भत्ता देती है. इसमें उन बीमारियों का इलाज करवाया जा सकता है, जिसमें भर्ती होने की जरूरत नहीं होती. इसलिए सरकार यह भत्ता देती है.