जलापूर्ति हो सकती है प्रभावित!, सीएम ने कहा, गलत मीटर लगाने के लिए नहीं किया जाएगा बाध्‍य

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी में अशुद्ध पानी में बड़ी मात्रा में अमोनिया के होने के कारण दो बड़े संयंत्रों में जल शोधन में कटौती करनी पड़ी जिस वजह से कई इलाकों में पानी की कमी हो सकती है. दिल्ली जल बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, आज अशुद्ध पानी में अमोनिया का स्तर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 14, 2014 8:33 AM

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी में अशुद्ध पानी में बड़ी मात्रा में अमोनिया के होने के कारण दो बड़े संयंत्रों में जल शोधन में कटौती करनी पड़ी जिस वजह से कई इलाकों में पानी की कमी हो सकती है.

दिल्ली जल बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, आज अशुद्ध पानी में अमोनिया का स्तर 0.2 पीपीएम की सीमा से कही ज्यादा 1.2 पीपीएम हो गया जिससे जल बोर्ड को वजीराबाद और चंद्रावल जल शोधन संयंत्रों में 50 प्रतिशत उत्पादन कम करना पड़ा.इन दोनों संयंत्रों में हरियाणा से पानी आता है. दिल्ली जल बोर्ड पहले ही हरियाणा सरकार और केंद्र सरकार के सामने मामला उठा चुका है.

किसी को गलत मीटर लगाने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा: केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज कहा कि लोगों को गलत मीटर लगाने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा और वे अपने पानी कनेक्शन के लिए बाजार में उपलब्ध अधिकृत मीटरों में कोई भी लगवा सकते हैं.

केजरीवाल ने कहा, मैंने दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों से मीटरों का परीक्षण करने को कहा है. मीटर सैंपल भी भेजे गए हैं. इसके अलावा, मैंने उन्हें किसी को कोई खास मीटर के इस्तेमाल के लिए बाध्य नहीं करने का निर्देश दिया है. वह इन खबरों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे कि पिछले साल पानी के अधिक बिल को लेकर अपने आंदोलन के दौरान उन्होंने जिन मीटरों को गलत घोषित किय था, वही मीटर दिल्ली जल बोर्ड लगा रहा है.

मुख्यमंत्री ने कहा, हर परिवार को 20 हजार लीटर प्रतिमाह मुफ्त पानी की व्यवस्था से लोग मीटर लगाने के लिए प्रोत्साहित होंगे. पहले लोग मीटर लगाने के बारे में गंभीर नहीं रहते थे लेकिन अब वे मुफ्त पानी पाने के लिए मीटर लगाने को उत्साहित होंगे. इसी बीच बोर्ड ने शहर में पुनर्चक्रित पानी उपयोग के क्रिन्यावन के बारे में अपनी नीति की समीक्षा की.

बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विजय कुमार ने कहा, बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान पुनचक्रित पानी उपयोग नीति के प्रभावी क्रियान्वयान के लिए उठाये जाने वाले कदमों पर चर्चा हुई और उनमें एक था उसके संस्थागत और कानूनी मुद्दे का हल निकालना.

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