गुवाहाटी : असम के भावी मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज कहा कि घुसपैठ पर रोक लगाने के लिए बांग्लादेश से लगती सीमा को दो साल के अंदर सील कर दिया जाएगा. 1980 के दशक के दौरान हुए विदेशी विरोधी आंदोलन के दौरान हुए छात्र आंदोलन से राजनीतिक पटल पर उभरे सोनोवाल ने चुनाव में भाजपा को जीत दिलाई। उन्होंने घुसपैठ और उसे रोकने की कोशिश के मुद्दे को अपनी सरकार की प्राथमिकता में रखा है. भाजपा ने घुसपैठ को चुनाव अभियान में एक बडा मुद्दा बनाया था.
उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘ केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा को स्थायी तौर पर सील करने के लिए दो साल की समय सीमा दी है. हम उस समयसीमा के अंदर सीमा को सील करने का कार्य पूरा करने की दिशा में काम करेंगे, जिसमें नदी की सीमा भी शामिल है.” उनसे पूछा गया था कि वह किस तरह से भारत बांग्लादेश सीमा को सील करना चाहेंगे। इस मुद्दे पर वे गुरुवार को उनकी पार्टी की चुनाव में जीत होने के फौरन बाद भी बोले थे. राजनाथ सिंह ने इस साल जनवरी में दक्षिणी असम के करीमगंज जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर अपने दौरे के दौरान कहा था कि असम के साथ लगती सीमा पर कांटेदार तार की बाड के निर्माण का काम इस साल के अंत तक पूरा हो जाएगा. उन्होंने कहा था, ‘‘ जैसे की सीमा को स्थायी तौर पर सील किया जाएगा वैसे ही घुसपैठ की प्रवृत्ति खुद ब खुद रुक जाएगी। साथ ही साथ हम घुसपैठ रोकने के लिए लोगों को जागरुक करेंगे.”
सोनोवाल से पूछा गया कि बांग्लादेश से घुसपैठ रोकने के लिए वह कौनसा तरीका या कानून लागू करना चाहेंगे क्योंकि वह अब निरस्त हो चुके आईएमडीटी कानून के खिलाफ थे, तो सोनोवाल ने कहा, ‘‘ जब असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) में (चल रहे) सुधार का अंतिम प्रारुप प्राकशित होगा तो यह साफ हो जाएगा कि कौन नागरिक हैं और घुसपैठियों की पहचान हो जाएगी” उन्होंने कहा, ‘‘ समस्या हल हो जाएगी और तब मौजूदा कानून के मुताबिक घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. सोनोवाल ने कहा, ‘‘ पंजाब में पाकिस्तान के साथ वाघा सीमा की तरह ही हम भी असम में भारत बांग्लादेश सीमा पर समारोह करेंगे. हम इसे एक पर्यटन स्थल बनाएंगे जहां लोग आ सकें और समारोह देख सकें।” चुनाव में जीत का श्रेय सोनोवाल ने अपनी पार्टी और गठबंधन साझेदारों को दिया जो सभी जातीय समूहों को एक साथ लाए और उन्हें उचित सम्मान तथा प्रतिनिधित्व दिया.
उन्होंने कहा कि यहां के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास मॉडल को स्वीकारा जो केंद्र के विकास कार्यक्रमों को सीधे राज्य से जोडता है. उनसे पूछा गया कि क्या सत्ता विरोधी लहर और मतदाताओं का पिछली सरकार से उब जाना उनके गठबंधन की ऐतिहासिक जीत के कारक थे, तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ कोई सत्ता विरोधी कारक नहीं था. व्याप्त भ्रष्टाचार और पिछले 15 सालों में कांग्रेस के शासन में विकास की कमी हमारी जीत का कारण है.”
सोनोवाल से जब पूछा गया कि क्या भाजपा का क्षेत्रीय पार्टियों असम गण परिषद् (एजीपी) और बोडो पीपल्स फ्रंट (बीपीएफ) के साथ गठबंधन फायदेमंद रहा तो सोनोवाल ने कहा, ‘‘ बिल्कुल. लोगों ने उसे स्वीकार किया और हमें बहुमत दिया। हमने चाय बागान और राज्य भर से विभिन्न जातिय समूहों को अपने साथ लिया.” उन्होंने कहा, ‘‘ हमने किसी को नहीं छोडा. हम यहां तक कि बारक घाटी के उन इलाकों में भी गए जहां सिर्फ 2000 लोगों के जातीय समूह हैं. हमने उनसे बात की, उन्हें सम्मान और प्रतिनिधित्व दिया. लोग चाहते हैं कि उनकी संस्कृति और पहचान की रक्षा की जाए.”
अभी समाप्त हुए चुनाव में भाजपा को अल्पसंख्यकों के समर्थन पर उन्होंने कहा, ‘‘ असम के मूल निवासी और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों दोनों ने हमारा समर्थन किया और उन्होंने हमारे वोट प्रतिशत में 20 फीसदी से ज्यादा का योगदान दिया.” उन्होंने कहा, ‘‘ वे बडी संख्या में हमारे समर्थन में आए और उनका यहां (असम में) समर्थन शायद भारत में सबसे ज्यादा है. उनके समर्थन की वजह से हमारे अल्पसंख्यक उम्मीदवार जीते.” सोनोवाल ने बताया कि भाजपा सरकार 24 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में यहां के खानापाडा मैदान में शपथ लेगी. भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव के मुताबिक, जनादेश असम के लोगों की पहचान की रक्षा करने के लिए और विकास के लिए भी है.