दिल्ली के लिए रवाना हुए प्रधानमंत्री कहा, ‘‘खुदा हाफिज तेहरान”

तेहरान : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिनों की इरान यात्रा के बाद आज दिल्ली के लिए रवाना हो गये. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दो दिवसीय ईरान दौरा आज संपन्न हो गया और उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा ‘उपयोगी’ रही और इसके नतीजों का दोनों रणनीतिक साझेदारों के बीच के संबंधों पर ‘सकारात्मक रुप से असर’ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 23, 2016 6:20 PM

तेहरान : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिनों की इरान यात्रा के बाद आज दिल्ली के लिए रवाना हो गये. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दो दिवसीय ईरान दौरा आज संपन्न हो गया और उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा ‘उपयोगी’ रही और इसके नतीजों का दोनों रणनीतिक साझेदारों के बीच के संबंधों पर ‘सकारात्मक रुप से असर’ होगा. मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘मैं ईरान के अद्भुत लोगों को गर्मजोशी के लिए धन्यवाद देता हूं. मेरा ईरान दौरा उपयोगी रहा है और इसके नतीजों का दोनों राष्ट्रों के बीच के संबंधों पर ‘सकारात्मक रुप से असर’ होगा” उनकी इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के समझौते सहित 12 समझौतों पर हस्ताक्षर किए.

प्रधानमंत्री का दौरा संपन्न होने के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने कहा, ‘‘खुदा हाफिज तेहरान. कूटनीति का एक व्यस्त दिन संपन्न हुआ. प्रधानमंत्री दिल्ली के लिए रवाना हुए .” मोदी ने ईरानी राष्ट्रपति हसन रुहानी के साथ गहन बातचीत की और ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनी से मुलाकात की. दोनों देशों ने चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किया और भारत इसमें 50 करोड डॉलर का निवेश करेगा. दोनों देशों के बीच 11 अन्य समझौते भी हुए.

तेहरान में भारत, अफगानिस्तान और ईरान के बीच त्रिपक्षीय समझौता हुआ. इस समझौते के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित करते हुए कहा, आज हम यहां इतिहास बनता देख रहे हैं . हम पूरे विश्व से जुड़ना चाहते हैं .

प्रधानमंत्री ने इन देशों से संबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि इतिहास में इतनी हलचल के बावजूद भी हमने एक दूसरे से संपर्क नहीं तोड़ा. चाहबार समझौते से व्यापार और विकास दोनों को बढ़ावा मिलेगा. यह समझौता निवेशकों को आकर्षित करेगा.

भारत और ईरान ने आज रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह को विकसित करने और एक एल्युमीनियम संयंत्र लगाने के लिये शुरआती समझौता करने सहित 12 समझौतों पर हस्ताक्षर किये. इनमें भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंच सुनिश्चित कराने वाली रेल लाइन बिछाने का समझौता भी शामिल है. भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की रेल कंपनी इरकॉन ईरान के चाबहार बंदरगाह से अफगानिस्तान तक 500 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछायेगी जिसपर 1.6 अरब डालर की लागत आने का अनुमान है.
यह रेल लाइन ईरान के दक्षिणी तटीय इलाके से अफगानिस्तान के जाहेदान तक बिछाई जायेगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कल से शुरु हुई पहली ईरान यात्रा के दौरान इन समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये. रेल लाइन बिछाने के लिये भारत की इरकॉन ने ईरान की कंस्ट्रक्शन डेवलपमेंट ऑफ ट्रांस्पोर्ट एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी (सीडीटीआईसी) के साथ आपसी सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं.
इरकॉन के प्रबंध निदेशक मोहन तिवारी और ईरान के रेल उपमंत्री पाउरसैयद अघेई ने समझौते पर हस्ताक्षर किये. समझौते पर हस्ताक्षर ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी और प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में किये गये. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद पिछले 15 साल के दौरान ईरान की यात्रा करने वाले मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि रामायण जैसे भारतीय धार्मिक महाकाव्य में फारसी भाषा के करीब 250 शब्द हैं.

पुराना गौरव वापस लाने का समय
भारत और ईरान के बीच के पुराने सांस्कृतिक संबंधों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि ये वह समय है जब दोनों देश कई ‘उतार-चढाव’ का गवाह रहे अपने ऐतिहासिक संबंधों के ‘पुराने गौरव’ को फिर से हासिल करके साथ चल सकते हैं. भारत और ईरान के बीच के पारंपरिक संबंधों पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने इस बारे में बात की कि दोनों देशों की संस्कृति किस तरह सदियों से एक दूसरे से जुडी हैं.
उन्होंने कहा कि सूफीवाद और दूसरे सांस्कृतिक संपर्कों का उल्लेख करने के मकसद से आयोजित यह सम्मेलन ‘उन लोगों को करार जवाब है जो हमारे समाज में कट्टर विचारों का उद्घोष करते हैं’. मोदी ने कहा, ‘‘आज की दुनिया में, राजनीतिक पंडित रणनीतिक मिलन की बात करते हैं. परंतु भारत और ईरान दो ऐसी सभ्यताएं हैं जो हमारी महान संस्कृतियों का उत्सव मनाती हैं.’ ‘इंडिया एंड ईरान, टू ग्रेट सिविलाइजेशंस: रेस्ट्रोस्पेक्ट एंड प्रॉसपेक्ट्स’ नामक इस सम्मेलन में विद्वान एकत्र हुए थे. इस मौके पर मोदी ने फारसी पांडुलिपि भी जारी की. मोदी ने कहा, ‘‘भारत और ईरान हमेशा साझेदार और मित्र रहे हैं. हमारे ऐतिहासिक संबंधों ने उतार-चढाव देखे होंगे, पंरतु हमारी साझेदारी हम दोनों के लिए अथक शक्ति का स्रोत रही है.’
मोदी ने कहा, ‘‘समय आ गया है कि हम पारपंरिक संबंधों और संपर्कों के अतीत के गौरव को फिर हासिल करें. हमारे साथ आगे बढने का भी समय आ गया है.’ उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन दोनों देशों की नौजवान पीढी को उनकी सांस्कृतिक धरोहर के सौंदर्य और समृद्धि से रुबरु कराने की जिम्मेदारी निभाता है. मोदी ने फारसी पुस्तक ‘कालिलेह-वा-दिमनेह’ भी जारी की जो भारत और ईरान के बीच के ऐतिहासिक संपर्कों को समाहित किए हुए है.
उन्होंने कहा, ‘‘यह उल्लेखनीय है कि जातक और पंचतंत्र की भारतीय पौराणिक गाथाएं फारसी कालिलेह-वा-एदिमनेह’ बन गई हैं.’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यह दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक विचारों के आदान-प्रदान का शानदार उदाहरण है.’ मोदी ने कहा, ‘‘दो प्राचीन सभ्यताओं के तौर पर हम (भारत और ईरान) समग्र होने और विदेशी संस्कृतियों का स्वागत करने की अपनी योग्यता के लिए जाने जाते हैं. हमारे संपर्कों ने न सिर्फ हमारी संस्कृतियों को निखारा है, बल्कि इसने वैश्विक स्तर पर उदारवादी और सहिष्णु समाज बनने में योगदान दिया है.’ उन्होंने कहा, ‘‘सूफीवाद हमारे प्राचीन संपर्कों में एक मूल्यवाद देन है जो अपने साथ संपूर्ण मानवता के लिए सच्चा प्रेम, सहिष्णुता और स्वीकार्यता का संदेश लेकर आती है.’ मोदी ने कहा कि सूफीवाद की भावना ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के भारतीय सिद्धांत को परिलक्षित करती है.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘अजमेर शरीफ और हजरत निजामुद्दीन की दरगाहों को लेकर ईरान में भी समान रुप से श्रद्धा है. महाभारत और शाहनामा, भीम और रुस्तम, अर्जुन और अर्श हमारे वैश्विक विचारों और मूल्यों को समान रुप से दर्शाते हैं.’ उन्होंने कहा कि जारदोजी, गुलदोजी और चंदेरी जैसी शिल्पकलाएं भले ही ईरानी समाज का हिस्सा हों, लेकिन भारत में भी इनके बारे में लोग अच्छी तरह जानते हैं.

ईरान के सर्वोच्च नेता से भी मिले प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामनेई से मुलाकात की और इस तरह दोनों देशों के बीच विशेष रिश्ते की ताकत को रेखांकित किया. अटल बिहारी वाजपेयी के बाद 15 साल के अंतराल में द्विपक्षीय यात्रा पर इस इस्लामी गणराज्य की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी दो दिवसीय यात्रा के अंत में खामनेई से उनके दफ्तर में मुलाकात की.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने ट्वीट किया, ‘‘दुर्लभ सम्मान. विशेष रिश्ते की मजबूती को रेखांकित करने वाला. सर्वोच्च नेता अली खामनेई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगवानी की.’ ईरान की विदेश नीति और महत्वपूर्ण मुद्दों से संबंधित विषयों पर अंतिम निर्णय देने वाले खामनेई ने मोदी का स्वागत किया.
उनके कार्यालय से जारी एक ट्वीट में कहा गया, ‘‘भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लीडर ऑफ रिवॉल्यूशन से मुलाकात की .’ इससे पहले मोदी ने आज दिन में ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी से मुलाकात की और आमने-सामने बातचीत की. दोनों देशों ने आतंकवाद और चरमपंथ से लडने का संकल्प लिया. उन्होंने 12 समझौतों पर हस्ताक्षर किये जिनमें आर्थिक साझेदारी को मजबूती देने वाले रणनीतिक चाबहार बंदरगाह के विकास पर एक महत्वपूर्ण करार भी शामिल है.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ईरान के दौरे पर हैं. यहां गार्ड ऑफ ऑनर से भी सम्मानित किया गया. इस दौरान राष्‍ट्रीय गान जन-गण-मन से सभा स्थल गूंज गया. सेरेमोनियल रिसेप्शन के दौरान ईरान के राष्‍ट्रपति हसन रोहानी भी मौजूद थे. पीएम मोदी और रोहानी के बीच मुलाकात के बाद आज दोनों देशों के बीच 12 समझौते हुए. संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए रोहानी ने कहा कि भारत के साथ हमारा रिश्‍ता बेहद अहम है. भारत का युवा उसकी ताकत है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध और मजबूत होंगे. पर्यटन बढाने पर ईरानी जोर देगा.
ईरान के साथ भारत ने चाबहार बंदरगाह पर समझौता किया जो भारत के लिए बेहद अहम है. इसके जरिए भारत का पाकिस्तान और चीन पर दबाव बढेगा. दोनों देशों के बीच समझौता 13 साल से लटका हुआ था. ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि चाबहार बंदरगाह समझौता भारत और ईरान के बीच सहयोग का काफी महत्वपूर्ण संकेत साबित होगा. उन्होंने कहा कि हमने भारत के साथ आतंकवाद पर बात की, इसके अलावा हिंदी परसियन को पर दोनों देशों के पाठ्यक्रम को शामिल कराने पर बात हुई.

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