नयी दिल्ली : एनईईटी अध्यादेश पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि मीडिया में रिपोर्ट्स आ रही थीं कि एनईईटी को वापस लिया जाएगा, मैं बताना चाहता हूं कि इसे लागू किया जा रहा है. जिसके दायरे में सभी निजी मेडिकल कॉलेज भी आएंगे. नड्डा ने कहा कि राज्य सरकारों के पास इस साल (2016-17) के लिए स्नातक की परीक्षाएं कराने का मौका होगा लेकिन दिसंबर में होने वाले परास्नातक की परीक्षा एनईईटी प्रावधान के तहत आयोजित कराई जाएगी. अध्यादेश के सहारे इसे वैधानिक रूप से मजबूत बनाया गया है.
आपको बता दें कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एमबीबीएस एवं दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए इस साल होने वाली संयुक्त मेडिकल प्रवेश परीक्षा से राज्य बोर्डों को बाहर रखने संबंधी अध्यादेश पर कुछ सवाल उठाने के बाद आज हस्ताक्षर कर दिए. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सभी सवालों के समाधान के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के पहुंचने के बाद राष्ट्रपति ने आज सुबह इस अध्यादेश को लागू कर दिया.
राष्ट्रपति ने मांगा था स्पष्टीकरण
राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (नीट) के संदर्भ में राष्ट्रपति ने स्पष्टीकरण मांगा था जिस पर जवाब देने के लिए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी आज सुबह स्वास्थ्य मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के साथ राष्ट्रपति सचिवालय में मौजूद थे. राष्ट्रपति के पास यह अध्यादेश शनिवार को भेजा गया था और आज सुबह वह चीन की चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर रवाना हुए. इस महीने के शुरु में उच्चतम न्यायालय द्वारा उत्तराखंड पर अध्यादेश के विरुद्ध फैसला सुनाने के बाद राष्ट्रपति सचिवालय इस बार अधिक सचेत था और इसने इस संबंध में सवाल उठाए, क्योंकि यह वास्तव में उच्चतम न्यायालय के उस फैसले के विरुद्ध था जिसमें न्यायालय ने सरकार को नीट के तहत मेडिकल परीक्षा आयोजित करने का निर्देश दिया था जिसके दायरे में राज्य बोर्डों के साथ ही सरकारी एवं निजी कॉलेज भी हों.
जेपी नड्डा ने दी थी जानकारी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने राष्ट्रपति को कल राज्य बोर्डों की विभिन्न परीक्षाओं, पाठ्यक्रम और क्षेत्रीय भाषाओं सहित मुख्यत: तीन मुद्दों पर जानकारी दी थी. इसके बाद अधिकारियों ने एक और ब्रीफिंग दी, जिसके बाद बीती रात स्वास्थ्य मंत्रालय ने फाइल वापस ले ली, ताकि कुछ अतिरिक्त सूचना एवं कानूनी सलाह के साथ आज सुबह इसे राष्ट्रपति सचिवालय को दिया जा सके. केंद्रीय कैबिनेट ने बीते शुक्रवार को नीट पर अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी, जिसका उद्देश्य उच्चतम न्यायालय के उस आदेश को ‘‘आंशिक’ तौर पर बदलना था जिसमें राज्य एवं निजी कॉलेजों द्वारा ली जाने वाली बहु मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं के साथ भ्रष्टाचार के आरोपों पर भी संज्ञान लिया गया था.
अदालत का निर्देश
गौरतलब है कि अदालत ने निर्देश दिया था कि समूचे भारत में एमबीबीएस एवं दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए एक संयुक्त मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ आयोजित की जाएगी. लेकिन राज्य सरकारों ने इस साल से इसके कार्यान्वयन पर आपत्ति जताई और कहा कि यह छात्रों के लिए बहुत तनावपूर्ण होगा, क्योंकि इसके पाठ्यक्रम की तैयारी के लिए छात्रों के पास बहुत सीमित समय है और भाषा का भी मामला है. राज्य सरकारों ने कहा कि राज्य बोर्डों से संबद्ध छात्रों के लिए जुलाई से पहले एकीकृत परीक्षा में शामिल होना मुश्किल होगा और केंद्रीय बोर्ड से संबद्ध छात्रों की तुलना में ऐसे छात्र नुकसान में रहेंगे. उच्चतम न्यायालय द्वारा केंद्र की याचिका खारिज किए जाने के बाद केंद्र ने अध्यादेश का रास्ता अपनाने का फैसला किया. अलग-अलग राज्यों ने यह चिह्नित किया कि विभिन्न निजी मेडिकल कॉलेजों में राज्य कोटा के लिए 12-15 प्रतिशत के बीच सीट हों ताकि किसी एक राज्य के छात्रों के लिए किसी अन्य राज्य के कॉलेजों में सीट मिल सके.
राज्यों ने नीट का किया था विरोध
राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों की हालिया बैठक के दौरान पंद्रह से अधिक राज्यों ने नीट का विरोध किया और अलग-अलग पाठ्यक्रम एवं भाषा जैसे मुद्दे उठाए. अगले चरण की परीक्षा 24 जुलाई को होनी है और करीब साढे छह लाख छात्र एक मई को नीट के तहत हुई पहले चरण की प्रवेश परीक्षा में बैठ चुके हैं. अध्यादेश के लागू होते ही राज्य सरकार बोर्डों से संबद्ध छात्रों को 24 जुलाई को होने वाली नीट परीक्षा में नहीं बैठना होगा. बहरहाल, उन्हें अगले शैक्षणिक सत्र से एकीकृत प्रवेश परीक्षा में बैठना होगा. परीक्षा केंद्र सरकार एवं निजी मेडिकल कॉलेजों के लिए आवेदन करने वाले सभी छात्रों पर लागू होगी. उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले यह फैसला दिया था कि देश में मेडिकल या दंत चिकित्सा कॉलेजों में शुरू हो रहे इस शैक्षणिक सत्र में दाखिला पाने के लिए छात्रों को नीट के तहत परीक्षा देनी होगी.