भविष्य में भी तमिलनाडु को NEET अपनाने को बाध्य नहीं करें : जयललिता

चेन्नई : तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता ने केंद्र से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि एमबीबीएस और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए साझा प्रवेश परीक्षा नीट अपनाने के लिए राज्य को भविष्य में भी ‘‘मजबूर नहीं किया जाए’ क्योंकि इसके क्रियान्वयन से राज्य की कुछ नीति संबंधी पहलें और सामाजिक-आर्थिक उद्देश्य ‘‘निरर्थक’ हो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 25, 2016 1:59 PM

चेन्नई : तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता ने केंद्र से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि एमबीबीएस और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए साझा प्रवेश परीक्षा नीट अपनाने के लिए राज्य को भविष्य में भी ‘‘मजबूर नहीं किया जाए’ क्योंकि इसके क्रियान्वयन से राज्य की कुछ नीति संबंधी पहलें और सामाजिक-आर्थिक उद्देश्य ‘‘निरर्थक’ हो जाएंगे.

जयललिता ने इस अकादमिक वर्ष में नीट से छूट देने वाले अध्यादेश की ‘‘त्वरित घोषणा’ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए कल कहा, ‘‘इसने कुछ समय के लिए उन लाखों छात्रों एवं उनके माता-पिता को मानसिक पीड़ा, तनाव एवं चिंता से राहत दी है जो राज्य के कोटा से मौजूदा वर्ष में चिकित्सकीय पाठ्यक्रम में प्रवेश पाना चाहते हैं.’ उन्होंने मोदी को कल लिखे और आज जारी किए गए पत्र में कहा कि यह अध्यादेश मौजूदा वर्ष में इस समस्या से अस्थायीरूप से निपटेगा लेकिन तमिलनाडु की ‘‘स्थिति अन्य राज्यों से विशिष्ट एवं अलग है.’ उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने चिकित्सकीय सीटों के लिए दाखिला प्रणाली को व्यवस्थित करने के वास्ते वर्ष 2005 से कई कदम उठाए हैं और एक विधेयक के जरिए प्रवेश परीक्षाओं को भी समाप्त कर दिया गया है जिसे अदालत ने भी बरकरार रखा है.

जयललिता ने कहा, ‘‘यह कदम खासकर कमजोर वर्गों एवं ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को ध्यान में रखकर उठाया गया था ताकि सभी को समान स्तर पर मुकाबला करने का अवसर मिल सके.’ उन्होंने कहा, ‘‘नीट लागू होना राज्य के अधिकारों का सीधा उल्लंघन होगा और इससे तमिलनाडु के उन छात्रों के साथ घोर अन्याय होगा जो तमिलनाडु सरकार द्वारा लागू कीगयी निष्पक्ष एवं पारदर्शी दाखिला नीति के तहत पहले ही आते हैं और यह नीति अच्छी तरह काम कर रही है.’ जयललिता ने मोदी से अपील की कि यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं कि तमिलनाडु को ‘‘राज्य के चिकित्सकीय कॉलेजों एवं दंत चिकित्सा कॉलेजों में प्रवेश के लिए अपनी मौजूदा निष्पक्ष एवं पारदर्शी प्रणाली जारी रखने की अनुमति दी जाए और उसे भविष्य में भी नीट लागू करने के लिए बाध्य नहीं किया जाए.’ उन्होंने कहा कि ग्रामीण छात्र एवं गरीब सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि के लोग इस प्रकार की उन साझा प्रवेश परीक्षाओं में शहर के अभिजात वर्ग के छात्रों के साथ मुकाबला करने में अक्षम होंगे जो इस तरह तैयार कीगयी हैं जिनसे शहर के अभिजात वर्ग को लाभ हो.

जयललिता ने कहा कि स्नातकोत्तर चिकित्सकीय पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए तमिलनाडु सरकार उन छात्रों को प्राथमिकता देती है जिन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा की है और खासकर उन छात्रों को महत्व दिया जाता है जो पर्वतीय और जनजातीय क्षेत्रों में काम करते है.

उन्होंने कहा, ‘‘नीट लागू होने से राज्य की ये नीति संबंधी पहलें एवं सामाजिक आर्थिक उद्देश्य निरर्थक हो जाएंगे क्योंकि राष्ट्रीय परीक्षा के नियमों में इस प्रकार के प्रावधान नहीं हो सकते. यह राष्ट्रीय परीक्षा तमिलनाडु के मौजूदा सामाजिक आर्थिक परिदृश्य एवं प्रशासनिक आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं है.’

Next Article

Exit mobile version