अलगावादी नेता आलम को जमानत, अदालत ने कहा अधिकारियों को लगायी फटकार
श्रीनगर : बडगाम की एक अदालत ने कट्टरपंथी अलगाववादी नेता मसरत आलम की जमानत मंजूर करते हुए आलम को लगातार हिरासत में रखने को लेकर अधिकारियों की कड़ी आलोचना की. अदालत ने कहा कि अबु गरीब और ग्वांतानामो जैसी न्यायेत्तर हिरासत की स्थितियां बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं. बडगाम के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मसरत रुही […]
श्रीनगर : बडगाम की एक अदालत ने कट्टरपंथी अलगाववादी नेता मसरत आलम की जमानत मंजूर करते हुए आलम को लगातार हिरासत में रखने को लेकर अधिकारियों की कड़ी आलोचना की.
अदालत ने कहा कि अबु गरीब और ग्वांतानामो जैसी न्यायेत्तर हिरासत की स्थितियां बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं. बडगाम के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मसरत रुही ने कहा कि अगर आलम राष्ट्र विरोधी और समाज एवं जनता के लिए हानिकारक हैं तो राज्य दोषी को सजा देने का अपना कर्तव्य निभाए ताकि उसे कानून के अनुसार उचित सजा दी जाए.
जमानत मंजूर करते हुए सीजेएम ने कल अपने आदेश में कहा कि इस तथ्य के बावजूद कि राज्य ने आरोपी पर राष्ट्र विरोधी होने का आरोप लगाया है, संविधान में दिये आरोपी के अधिकार और नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतांे को अनिश्चितकाल तक नामंजूर नहीं किया जा सकता.
आलम के खिलाफ पिछले साल अप्रैल में उस समय रणबीर दंड संहिता :आरपीसी: की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी जिसमें देशद्रोह का आरोप भी शामिल है, जब अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के दिल्ली से लौटने पर आयेाजित रैली में पाकिस्तान के झंडे फहराए गए थे.
सीजेएम ने कहा कि देश का यह हिस्सा भारत संघ का अंग है, इस पर इस अदालत को कोई संदेह नहीं है, :इराक के: अबु गरीब और ग्वांतानामो जैसी स्थितियों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, कम से कम उन मामलों में जिन्हें अदालतों में भारतीय नागरिकांें के खिलाफ उठाया गया है. पुलिस के अनुसार, वर्ष 1995 से 45 वर्षीय नेता के खिलाफ 27 मामले दर्ज हुए हैं. हालांकि जांच केवल 12 मामलों में पूरी हुई है जबकि पुलिस का दावा है कि जांच तेज करने के लिए आईजीपी द्वारा जोन स्तर पर विशेष जांच दल गठित किये गये हैं.