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…तो मुख्यमंत्री का पद छोड़ दूंगी : महबूबा

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने आज कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन के एजेंडा में की गई प्रतिबद्धताएं यदि वह पूरी नहीं कर पाती हैं और राज्य के लिए उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के विजन को पूरा करने में यदि कुर्सी ‘बाधा’ बनती है तो वह पद छोड़ने से नहीं […]

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने आज कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन के एजेंडा में की गई प्रतिबद्धताएं यदि वह पूरी नहीं कर पाती हैं और राज्य के लिए उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के विजन को पूरा करने में यदि कुर्सी ‘बाधा’ बनती है तो वह पद छोड़ने से नहीं हिचकिचाएंगी.

विधानसभा में मुख्यमंत्री के तौर पर अपने प्रथम संबोधन में उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धारा 370 की रक्षा करना इस एजेंडा में शामिल है. उन्होंने राज्य में शांति बहाली के लिए आत्मनिर्णय की मांग का भी यह कहते हुए बचाव किया यह कोई पाप नहीं है और उनके साझा कार्यक्रम में इसके कई प्रावधानों को शामिल करने पर भाजपा की तरफ अंगुली नहीं उठाई जानी चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘ यह कुर्सी मेरी कमजोरी नहीं है. जब तक मुझे लगेगा कि यह मेरी ताकत है, मैं इस कुर्सी पर बनी रहूंगी. यदि मुझे लगा कि यह मेरी कमजोरी बन गई है तो मैं पद छोड दूंगी .’ विपक्ष की आलोचना को बिंदुवार खारिज करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके पिता का विजन जम्मू कश्मीर को उन मुश्किलों से बाहर निकालने के लिए रास्ते तलाशने का था जिन मुश्किलों में राज्य फंसा हुआ है.
कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए अपनी पार्टी के आत्म निर्णय वाले फार्मूले पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भारत और पाकिस्तान दोनों के हित में है और इसकी ज्यादातर विशेषताएं 2005 में गठित प्रधानमंत्री के कार्यसमूह द्वारा की गई सिफारिशों का हिस्सा हैं. ‘‘हम सभी ने इस पर (कार्यसमूह की सिफारिशों) हस्ताक्षर किया है.’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ यदि यह राज्य समृद्ध होता है और यहां शांति बहाल होती है तो यह जम्मू कश्मीर, भारत, पाकिस्तान और इस उपमहाद्वीप के हित में है. यह दुनियाभर में संघर्ष के समाधान के लिए एक नजीर बन सकता है.’ उन्होंने कहा, ‘‘ भारतीय संविधान की धारा 370 जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा की गारंटी देती है. इस प्रावधान के तहत कश्मीर के लोगों की तरह जम्मू के लोगों को समान अधिकार मिले हुए हैं. हालांकि एक ऐसी धारणा बनाई गई है मानो यह प्रावधान जम्मू के खिलाफ है.’

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