NDA सरकार को विपक्ष को साथ लेकर चलने का साहस दिखाना चाहिये : चिदंबरम
नयी दिल्ली : अर्थव्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार के रुख पर हमला करते हुए कांग्रेस ने कहा कि उसे बड़े सुधारों के साथ आगे बढ़ने का साहस दिखाना चाहिये. पार्टी ने कहा है कि यदि सरकार वास्तव में काम की बात करती है तो पार्टी इसमें मदद करेगी. पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने संवाददाताओं […]
नयी दिल्ली : अर्थव्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार के रुख पर हमला करते हुए कांग्रेस ने कहा कि उसे बड़े सुधारों के साथ आगे बढ़ने का साहस दिखाना चाहिये. पार्टी ने कहा है कि यदि सरकार वास्तव में काम की बात करती है तो पार्टी इसमें मदद करेगी.
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा, अर्थव्यवस्था में स्थिरता आने के साथ, मेरा मानना है कि जैसी जून 2014 में थी, सरकार को बड़े ढांचागत सुधारों को अमलीजामा पहनाकर अर्थव्यवस्था को मजबूती के साथ आगे बढ़ाना चाहिये और लंबित पड़े मुश्किल फैसले लेने चाहिये. जिन्हें संप्रग सरकार नहीं ले पाई क्योंकि उसके पास लोकसभा में पूर्ण बहुमत नहीं था.
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, अब इस सरकार के पास लोकसभा में 282 या 283 सीटें हैं इसलिए उसे हिम्मत जुटाकर बड़े ढांचागत सुधारों को आगे बढ़ाना चाहिए और ऐसा करते हुए उसे विपक्ष को भी अपने साथ लेना चाहिये. यदि सरकार काम की बात करना चाहती है तो कांग्रेस पार्टी मिलकर काम करने के लिए तैयार है. चिदंबरम को पार्टी ने महाराष्ट्र से राज्य सभा चुनाव के लिए नामित किया है.
जीएसटी के संबंध में चिदंबरम ने कहा कि सरकार कांग्रेस पार्टी द्वारा उठायीगयी तीन सैद्धांतिक आपत्तियों पर बातचीत करने में नाकाम रही है. उन्होंने कहा, या तो सरकार को हमें यह समझाना चाहिए कि हमारी आपत्तियां निराधार हैं और यदि वह सहीं हैं तो सरकार को हमारी आपत्तियों को स्वीकार कर लेना चाहिए और इसके लिये संशोधन लाना चाहिये. जहां तक मेरी जानकारी है आमने सामने बैठकर इस तरह का सवांद नहीं हुआ है.
चिदंबरम ने सरकार को सुझाव दिया कि वह विपक्ष के साथ संपर्क करे और उसके सुझावों पर विचार करे. उन्होंने कहा, ‘‘विपक्ष के साथ मिलकर काम करें. विपक्ष के साथ बातचीत करें. सरकार के बाहर प्रतिभाएं हैं. अच्छे परामर्शक हैं. उन्हें बुलाएं और बात करें. अपनी सरकार समेत किसी भी सरकार को मैं यही सलाह दूंगा. मोदी सरकार के दो साल पूरा होने के मौके पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि यदि कृषि और उद्योग संकट में हैं तो जश्न मनाने के लिए क्या है.
उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में सरकार का प्रदर्शन बहुत खराब है. 2014-15 में इसमें 0.2 प्रतिशत गिरावट वृद्धि दर्ज की गयी और 2015-16 में यह मात्र 1.1 प्रतिशत रही. सरकार ग्रामीण भारत के संकट को समझने और उसका हल करने में नाकाम रही. उन्होंने कहा, उच्चतम न्यायालय ने सरकार की पिछले दो साल से लगातार सूखे की स्थिति के प्रबंधन में लापरवाही और सूखा राहत प्रदान करने में जिम्मेदारी दूसरों पर डालने के लिए कड़े शब्दों में अलोचना की है.
उद्योग जगत के बारे में चिदंबरम ने कहा कि 2015-16 में कंपनियों की सालाना बिक्री 5.7 प्रतिशत घटी है जबकि विनिर्माण कंपनियों की सालाना बिक्री 11.2 प्रतिशत कम हुई है. उन्होंने कहा कि बैंकों की ऋण वृद्धि में भी यह दिखाई देता है जो कि इस समय 20 साल के न्यूनतम स्तर 9.9 प्रतिशत पर है. वस्तु निर्यात में भी यह दिखाई देता है जो कि 2015-16 में 15.5 प्रतिशत घटा है. इसका एक और संकेतक है औद्योगिक उत्पादन सूचकांक जो कि पिछले वित्त वर्ष में मात्र 2.4 प्रतिशत बढ़ा है.
चिदंबरम ने कहा, ‘‘कुल मिलाकर मैं यह कहना चाहता हूं कि रोजगार नहीं बढ़ रहे हैं, कोई उद्योग नहीं है, उद्योगों में मंदी है, पिछले लगातार 17 माह से निर्यात गिर रहा है और कोई देखने वाला नहीं है. यदि निर्यात में गिरावट आयी है तो हजारों नौकरियां भी समाप्त हुई होंगी. इसी को लेकर इस देश के नागरिक अपना स्कोर कार्ड दिखायेंगे. पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘देश के आम आदमी को नौकरी चाहिये, उन्हें जीडीपी के आंकड़े से कोई लेना देना नहीं है.”
उन्होंने दावा किया कि राजग सरकार की सबसे बड़ी असफलता रोजगार के अवसर पैदा नहीं होना है. चिदंबरम ने बढ़ती खुदरा मुद्रास्फीति पर चिंता जतायी. यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार और रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति प्रबंधन की रणनीति पर सहमत हैं अथवा नहीं. किसी सहमति वाली रणनीति के नहीं होने से मुद्रास्फीति तो बढ़नी ही है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक जुलाई 2015 में 3.7 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल 2016 में 5.4 प्रतिशत हो गयी.
चिदंबरम ने यह भी कहा कि केवल भाजपा ही सरकार में रहने के दो साल का जश्न मना रही है.एनडीए में शामिल उसकी सहयोगी पार्टियां इसमें शामिल नहीं हैं. उसकी सहयोगी शिवसेना तो सरकार की नीतियों को लेकर कड़ी आलोचना करती रही है. ‘मेक इन इंडिया’ पर टिप्पणी करते हुए चिदंबरम ने कहा कि यह फिलहाल शुरू ही नहीं हो पाया. अध्ययनों में यह सामने आया है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का बडा हिस्सा सेवा क्षेत्र में आया है विनिर्माण क्षेत्र में नहीं.
आर्थिक वृद्धि के आंकड़ों पर सवाल खड़ा करते हुए चिदंबरम ने कहा कि इसमें खुश होने के लिये कुछ नहीं है. जीडीपी आंकड़ों और दूसरे आर्थिक संकेतकों में मेल नजर नहीं आता है. यदि पुरानी प्रणाली से गणना की जाये तो 2015-16 की आर्थिक वृद्धि करीब पांच प्रतिशत आती है 7.6 प्रतिशत नहीं.