जांच रिपोर्ट में हुआ खुलासा जानिये, क्यों भड़की थी जाट आंदोलन के दौरान हिंसा
चंडीगढ़ : हरियाणा में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे जाटों का विरोध हिंसात्मक कैसे हुआ? इसकी जांच रिपोर्ट आ गयी है. इसकी जांच के लिए बनायी गयी प्रकाश सिंह समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. इस रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि रोहतक में छात्रों पर किया गया […]
चंडीगढ़ : हरियाणा में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे जाटों का विरोध हिंसात्मक कैसे हुआ? इसकी जांच रिपोर्ट आ गयी है. इसकी जांच के लिए बनायी गयी प्रकाश सिंह समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. इस रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि रोहतक में छात्रों पर किया गया हमला और मामूली-सी बात को लेकर दो समुदायों के बीच हुई झड़प से माहौल पहले ही बिगड़ चुका था. इससमितिने हिंसा के पीछे इन कारणों का हवाला दिया है.
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के अनुसार जांच पैनल ने इन कारणों को बड़ी वजह बताया है. छात्रों पर हमले से पहले जाटों ने सिर्फ सड़क जाम और आंदोलन किया लेकिन इन हमलों ने जाटों को उग्र कर दिया और आंदोलन ने हिंसा का रूप ले लिया. हरियाणा में भड़की जाट हिंसा के दौरान करीब 30 लोगों की मौत हो गई थी. जाट आंदोलन में कई लोगों के साथ दुर्व्यवहार भी किया गया था. कई मीडिया रिपोर्ट में जाट आंदोलन के दौरान दुष्कर्म की भी खबरें थी.
समिति ने अपनी रिपोर्ट में 18 फरवरी को हुई तीन घटनाओं को जाट हिंसा के लिए कसूरवार बताया. पहला, करीब 25 से 30 जाट वकीलों का जाट आरक्षण विरोधी 150 से 200 प्रदर्शन करनेवाले लोगों से उस वक्त झड़प हो गई जब उन प्रदर्शनकारियों ने रोहतक कोर्ट कॉम्पलैक्स के पास सड़क को जाम कर दिया. दोनों ही तरफ से एक-दूसरे पर पत्थरबाजी हुई और प्लास्टिक की कुर्सियां फेंकी गई. स्थानीय बाजार एसोसिएशन प्रमुख बिट्टू सचदेवा जाट आरक्षण विरोधी प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे.
दूसरी घटना का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है जब जाट वकीलों का गुस्सा कम हुआ तो 200 से 250 छात्रों और वकीलों के समूह अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राज्य युवा प्रेसिडेंट सुदीप काल्लक के नेतृत्व में उस जगह पर पहुंचे. वहां पर जाट आरक्षण विरोधी प्रदर्शनकारियों ने अफवाह सुनी कि सर छोटू राम की मूर्ति तोड़ दी गयी. इस अफवाह ने उनके आंदोलन का और उग्र कर दिया. उग्र जाटों ने चार मोटरसाइकिलों को आग के हवाले कर दिया.
जांच रिपोर्ट में तीसरी घटना जिसने जाट आंदोलन को उग्र कर दिया वो पुलिस की तरफ से किया गया बल प्रयोग बताया गया. वकीलों की पिटाई के बाद जाट छात्रों की तरफ से चार अलग-अलग जगहों पर किए गए सड़क जाम को हटाने के लिए जब पुलिस पहुंची तो छात्रों को पीटकर वहां से हटाने की कोशिश की गयी. इन कारणों से जाट हिंसा ने उग्र रूप ले लिया