कोल ब्लॉक : 16 महीने में सुनवाई पूरी, निजी कंपनियों को खदान देने से कोर्ट नाराज

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने करीब 200 कोल ब्लॉकों के आवंटन निरस्त करने के लिए दायर जनहित याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई पूरी कर ली. न्यायालय ने 16 महीने से अधिक समय तक सुनवाई के बाद कहा कि इस पर निर्णय बाद में सुनाया जायेगा. सुनवाई के दौरान प्राकृतिक संसाधनों को निजी कंपनियों को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 16, 2014 8:53 PM

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने करीब 200 कोल ब्लॉकों के आवंटन निरस्त करने के लिए दायर जनहित याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई पूरी कर ली. न्यायालय ने 16 महीने से अधिक समय तक सुनवाई के बाद कहा कि इस पर निर्णय बाद में सुनाया जायेगा. सुनवाई के दौरान प्राकृतिक संसाधनों को निजी कंपनियों को सौंपने के केंद्र सरकार के निर्णय की तीखी आलोचना हुई.

* सभी ने रखा पक्ष

न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने आवंटन में कथित अनियमितताओं पर गौर करने के लिए 14 सितंबर, 2012 को सहमति दी थी. आवंटन से जुड़े सात राज्यों और खनन कंपनियों सहित सभी पक्षों ने अपना पक्ष रखा. निजी कंपनियों का तर्क था कि कोर्ट के किसी भी आदेश का भावी प्रभाव होना चाहिए.

* इडी से सात तक मांगी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय को निर्देश दिया कि कोल ब्लॉकों आवंटन में धन शोधन व विदेशी मुद्रा नियमों के उल्लंघन की जांच के पहलू पर सात फरवरी तक प्रगति रिपोर्ट दाखिल करे. कोर्ट ने सीबीआइ व प्रवर्तन निदेशालय को निर्देश दिया कि वह आवंटन प्रकरण की जांच से संबंधित सूचनाएं साझा करें.जांच ब्यूरो की 13 जनवरी को पेश की गयी प्रगति रिपोर्ट पर 10 फरवरी को विचार किया जायेगा. इसके साथ ही कोर्ट ने जांच में सहयोग के लिए मलयेशिया को अनुरोध पत्र भेजने की कार्यवाही शुरू करने की सीबीआइ को अनुमति दे दी है.

* सीबीआइ की अधिकांश मांगें पूरी की : केंद्र

सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) की वित्तीय व कामकाज की स्वायत्तता से संबंधित अधिकतर मांगों को हल कर लिया गया है. कोल ब्लॉकों के आवंटन से संबंधित मसले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ को अटॉर्नी जनरल गुलाम वाहनवती ने यह जानकारी दी है.

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सीबीआइ निदेशक अपने प्रस्ताव सीधे कार्मिक विभाग के सचिव को और इसके बाद मंत्री को दे सकते हैं. ब्यूरो की कुछ शिकायतों पर अभी मंत्रणा हो रही है. शीघ्र ही इनके बारे में भी सूचित किया जायेगा. मामले में सीबीआइ के अधिवक्ता अमरेंद्र शरण ने कहा कि निदेशक को सचिव के पदेन अधिकार देने और उन्हें सीधे प्रभारी मंत्री को रिपोर्ट करने की मांग को हल करने के प्रयास हो रहे हैं.

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